बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में रबड़ फैक्ट्री की 1400 एकड़ बेशकीमती जमीन पर बन पाएगा इंडस्ट्रियल काॆरिडोर?
मुंबई हाईकोर्ट का लंबित अंतिम फैसला ही नहीं, शासन-प्रशासन का ‘दो कदम आगे, दो कदम पीछे’-रवैया भी है फिलहाल बड़ी बाधा
इंडस्ट्रियल काॆरिडोर बना तो फतेहगंज पश्चिमी इलाके के विकास को लगेंगे पंख
हजारों विस्थापित रबड़ फैक्ट्री मजदूरों, उनके आश्रितों और बेरोजगार स्थानीय युवाओं के लिए भी खुल जाएंगे घरों के पास ही नौकरी, रोजगार और व्यवसाय के रास्ते
गणेश ‘पथिक’
एफएनएन ब्यूरो, बरेली। बॉम्बे हाईकोर्ट में अलकेमिस्ट का दावा 20 दिसंबर 2023 को ही खारिज हो चुकने और विपक्षी अल केमिस्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की मियाद भी गुजर जाने के बाद रबड़ फैक्ट्री की लगभग 14 सौ एकड़ जमीन पर अब उप्र सरकार को मालिकाना हक मिलना तो तकरीबन तय ही है। मुंबई हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को भूमि के स्वामित्व से संबंधित एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए थे। 4 जुलाई 2024 की पिछली पेशी के दौरान हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकृत शासकीय अधिवक्ता रमेश दुबे पाटिल प्रदेश शासन से अधिकारपत्र नहीं मिल पाने की वजह से कोर्ट में हाजिर नहीं हो सके थे लेकिन अब सरकार द्वारा उन्हें अधिकारपत्र जारी कर दिया गया है और अगली तारीख (जो अभी तय नहीं है) पर मुंबई हाईकोर्ट में यूपी सरकार की तरफ से पेश होकर जमीन के मालिकाना हक संबंधी वर्ष 1960 की तत्कालीन राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित सेलडीड, अन्य संबंधित दस्तावेज और हलफनामा जमा करेंगे। मुंबई हाईकोर्ट से रबड़ फैक्ट्री की जमीन के मालिकाना हक का आखिरी फैसला सरकार के पक्ष में होना हालांकि अभी बाकी है लेकिन राज्य सरकार ने इसे ‘कभी दो कदम आगे… तो कभी दो कदम पीछे’ की तर्ज पर औद्योगिक गलियारे (इंडस्ट्रियल काॆरिडोर) के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बाद शासन ने पहले 14 जून 2024 और बाद में 19 जुलाई 2024 को लखनऊ में शासन के संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों और सभी संबंधित हितधारकों की महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। 19 जुलाई को मुख्य सचिव मनेज कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक में बरेली की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल और डीएम रविंद्र कुमार के साथ यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अल केमिस्ट के प्रतिनिधियों समेत सभी 16 हितधारकों ने भाग लिया। मुख्य सचिव श्री सिंह ने इस बैठक में बरेली के डीएम रविंद्र कुमार को रबड़ फैक्ट्री की पूरी जमीन अपने अधिकार में लेकर औद्योगिक गलियारा बनाने के लिए ब्लू प्रिंट तेजी से तैयार करवाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। हालांकि भरेसेमंद सूत्रों की मानें तो डीएम जमीन जिला प्रशासन द्वारा कब्जे में लिए जाने से संबंधित शासन या मुंबई हईकोर्ट का कोई लिखित आदेश नहीं मिलने की मजबूरी जताई।
बताते चलें कि बरेली की मीरगंज तहसील के कस्बा फतेहगंज पश्चिमी में करीब 25 साल पहले बंद हुई रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर औद्योगिक हब स्थापित करने की मांग काफी समय से शासन, राजनेताओं और आमजन के बीच गूंजती रही है। कई साल बाद अब जाकर इस दिशा में शासन स्तर पर पहल हुई है।
उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त सचिव मनोज कुमार मौर्य ने पत्र भेजकर बरेली के डीएम और कमिश्नर के साथ यूपीसीडा कानपुर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को रबड़ फैक्ट्री की 1400 एकड़ खाली पड़ी जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के संबंध में 14 जून को लखनऊ के गोमतीनगर में बैठक में भाग लेने को कहा था। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित उक्त बैठक में रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर औद्योगिक हब विकसित करने के तरीकों और व्यावहारिक दिक्कतों पर विस्तार से चर्चा हुई थी।
अलकेमिस्ट का दावा खारिज होने के बाद औद्योगिक गलियारे का रास्ता साफ
बताना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1960 में सिर्फ 3.40 लाख रुपये लेकर रबड़ फैक्ट्री बनाने के लिए मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। शर्त थी कि अगर फैक्ट्री बंद होने के बाद किसी भी कारण से छह महीने के भीतर दोबारा चालू नहीं हो पाई तो जमीन पर दोबारा सरकार का आधिपत्य हो जाएगा। लेकिन 15 जुलाई 1999 को स्थाई रूप से फैक्ट्री बंद होने के बाद भी लीज की इस शर्त पर अमल नहीं हुआ।
फैक्ट्री पर अपना कर्ज बता रही अलकेमिस्ट रि-कंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी ने कोर्ट जाकर जमीन को बेचने का अधिकार हासिल कर लिया। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील की। कोर्ट में बताया कि कंपनी ने अहम साक्ष्य छिपाकर फैसला अपने पक्ष में करा लिया। 20 दिसंबर 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अल केमिस्ट के पक्ष में दिए जमीन के मालिकाना हक के अपने ही पुराने फैसले को रद्द कर दिया। इसके बाद व्यापारी नेता आशीष अग्रवाल, जनप्रतिनिधियों और उद्यमियों ने इस जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की मांग शुरू कर दी। पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे संतोष गंगवार ने भी इसके लिए काफी पैरवी की थी।
इसी साल अप्रैल माह के आखिरी दिन कानून व्यवस्था और विकास कार्यों की समीक्षा के लिए बरेली पहुंचे औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के समक्ष तत्कालीन सांसद संतोष गंगवार और कई विधायकों ने जिले विकास का खाका पेश करते हुए प्रमुख मांगें रखीं। तत्कालीन सांसद संतोष गंगवार ने कहा कि रबड़ फैक्टरी की 1300 एकड़ जमीन पर कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू हो जाए तो जिले की सूरत बदल सकती है। फैक्टरी की जमीन पर औद्योगिक हब विकसित करने के लिए उन्होंने सरकार को पहले भी पत्र लिखे हैं। फिर से पत्र लिखेंगे। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस प्रस्ताव को वह आगे बढ़ाएंगे।
सर्किट हाउस बरेली में औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करने के दौरान पूर्व सांसद (वर्तमान में झारखण्ड के राज्यपाल) संतोष गंगवार ने उनसे विकास कार्यों पर लंबी चर्चा की। कहा, रबर फैक्टरी की 1300 एकड़ जमीन पर औद्योगिक हब विकसित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन अपैक्षित प्रगति नहीं हो पा रही है।
औद्योगिक गलियारा बना तो हजारों को मिलेगा रोजगार
रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए लंबे समय से संघर्षरत एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव अशोक कुमार मिश्रा का कहना है कि जमीन पर औद्योगिक हब बनाने के संबंध में बैठक एक अच्छी शुरुआत है। मतलब साफ है कि सरकार इस योजना पर सहमत है। औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ तो लोगों को इसका काफी फायदा मिलेगा। बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा। वह मांग करेंगे कि फैक्ट्री के कर्मचारियों के परिजनों के लिए भी इस योजना में अनिवार्य रूप से नौकरी का बंदोबस्त किया जाए। उन्होंने बताया कि रबड़ फैक्ट्री के लगभग 1400 कर्मचारियों के लगभग 247 करोड़ रुपये के देय बकाया भुगतान को लेकर भी 19 जुलाई की मीटिंग में उप श्रमायुक्त ने अपनी सहमति दे दी है।एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव अशोक कुमार मिश्रा द्वारा लखनऊ में मीटिंग के दौरान उप श्रमायुक्त के समक्ष रबड़ फैक्ट्री कर्मियों के बकाया देयों का पूरा ब्यौरा सभी आवश्यक साक्ष्यों सहित प्रस्तुत कर दिया गया है।
बोले डीएम, मुंबई हाईकोर्ट के फैसले का है इंतज़ार
“रबड़ फैक्ट्री का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है। न्यायालय का जो भी आदेश होगा, उसके अनुरूप कार्यवाही की जाएगी।” –रविंद्र कुमार, डीएम, बरेली।