
6174 किमी प्रति घंटा की स्पीड से जमीन और आकाश में लक्ष्य को भेदने में सक्षम, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों, उद्यमियों और देशवासियों को दी बधाई
एफएनएन नेशनल डेस्क, नई दिल्ली।भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता की दिशा में ऊंची छलांग लगाते हुए लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हाइपरसॉनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध सरकारी संगठन डीआरडीओ द्वारा शनिवार को ओडिशा के तटीय इलाके में स्थित एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर किया गया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक्स हैंडल पर सफल परीक्षण के वीडियो और फोटो पोस्ट करते हुए कहा है कि अब भारत उन चुनिंदा पांच देशों में शामिल हो गया है, जो इस बेहद अहम तकनीक को विकसित करने में सक्षम हैं। रक्षा मंत्री ने इस बड़ी कामयाबी के लिए डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और रक्षा क्षेत्र में लगे उद्यमियों को बधाई दी और इसे सभी देशवासियों की बहुत बड़ी और आश्चर्यजनक सफलता करार दिया।
इस हाइपरसॉनिक मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्पलेक्स लैबोरेट्री, डीआरडीओ और रक्षा उद्योग से जुड़े कई साझेदारों के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इसे 1500 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक अलग-अलग पेलोड से हमला करने के लिए बनाया गया है। सभी सशस्त्र बलों को इस अजेय मिसाइल से लैस करने की तैयारियां चल रही हैं।
मिसाइल के परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। अलग-अलग रेंज सिस्टम से इसे ट्रैक किया गया। इसके बाद मिसाइल की उड़ान को लेकर जो आंकड़े सामने आए, उससे इसके प्रभाव और अचूक निशाने की बात तय हो गई।
क्या होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें?
हाइपरसोनिक मिसाइल आवाज की रफ्तार (1235 किमी प्रति घंटा) से कम से कम पांच गुना तेजी से उड़ान भर सकती है। यानी इसकी न्यूनतम रफ्तार 6174 किमी प्रतिघंटा होती है। हाइपरसोनिक मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक दोनों मिसाइलों के फीचर्स से लेस होती है। यह मिसाइल लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाकर जमीन या हवा में मौजूद टारगेट को अपना निशाना बनाती है। इन्हें रोकना काफी मुश्किल होता है। साथ ही तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।
अभी किन देशों के पास है हाइपरसॉनिक मिसाइल क्षमता?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में इस वक्त हाइपरसॉनिक मिसाइल के निर्माण, विकास और संचालन की क्षमता सिर्फ पांच देशों- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और भारत के पास ही है। हालांकि, ईरान की तरफ से भी ऐसी मिसाइलों के परीक्षण की खबरें सामने आती रही हैं। इसके अलावा ब्रिटेन, इस्राइल, ब्राजील और दक्षिण कोरिया द्वारा भी इस तकनीक को विकसित करने की कोशिशें चल रही हैं।