एफएनएन राज्य ब्यूरो, लखनऊ-उप़्र। UP Shikshamitra: नियमितीकरण और मानदेय में संतोषजनक बढ़ोतऱी की लंबे समय से मांग कर रहे यूपी में तैनात डेढ़ लाख से भी ज्यादा शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद सरकार प्रदेश सरकार के दो-टूक जवाब सेॽ निराश होना पड़ा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूछे गए एक सवाल के जवाब बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने साफ कह दिया कि यूपी के शिक्षामित्रों का न तो अभी मानदेय बढ़ेगा और न ही उन्हें नियमित किया जाएगा।
सपा विधायक पंकज मलिक ने पु़ूछा था सवाल
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सपा विधायक पंकज मलिक ने बेसिक शिक्षा मंत्री से पूछा था कि सरकार यूपी के डेढ़़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने और उन्हें नियमित करने को लेकर क्या विचार कर रही है?
20 हजार क्षुब्ध शिक्षामित्रों ने छोड़ी नौकरी
बता दें कि यूपी में वर्तमान में करीब एक लाख 48 हजार शिक्षामित्र तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक : छात्र का अनुपात 1:30 होना चाहिए, लेकिन यह अनुपात 1:22 हो गया है। समान कार्य-समान वेतन की मांग कर रहे यूपी के शिक्षामित्र पिछले लगभग डेढ़ दशक से आंदोलन की राह पर हैं। करीब 20 हजार से ज्यादा शिक्षामित्रों ने मानदेय नहीं बढ़ाने और अन्य कारणों से नौकरी छोड़ दी है।
शिक्षामित्र लंबे समय से मानदेय बढ़ाने और नियमित करने की मांग करते रहे हैं शिक्षामित्रों की संख्याबल के कारण ही शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि फिलहाल सहायक टीचर भर्ती की आवश्यकता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था समायोजन
गौरतलब है कि साल 2001 में उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में 2013-14 में 1 लाख 78 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित भी किया गया था। हालांकि, इस समायोजन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की गई। हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने का आदेश लदे दिया सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुनाते हुए समायोजन रद्द कर दिया था।