एफएनएन स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। पांच बार विश्व चाैंपियन रहे महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने शुक्रवार को नए विश्व चैंपियन डोंगराजा गुकेश से कहा कि वह चीन के डिंग लिरेन के साथ विश्व चैंपियनशिप खिताबी मुकाबले के स्तर पर सवाल उठाने वालों को नजरअंदाज करें क्योंकि आलोचना हमेशा सफलता के साथ ही आती है।
ज्ञात रहे कि भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश कल बृहस्पतिवार शाम सिंगापुर में FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप की 14वीं और अंतिम बाजी में चीनी वर्ल्ड चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रचते हुए 18 वर्ष की सबसे कम उम्र में विश्व खिताब जीतने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं।
पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक की टिप्पणी का हवाला देते हुए मेंटोर विशी आनंद ने गुकेश को समझाया कि क्रैमनिक ने भले ही मैच के दौरान दोनों खिलाड़ियों के शतरंज के स्तर से प्रभावित नहीं होने और लिरेन की गंभीर चूक को ‘बचकानी’ हरकत बताते हुए उनके स्तरहीन खेल को ‘शतरंज का अंत’ होने जैसा करार दिया था। साथ ही पांच बार के विश्व चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन ने भी लिरेन और मुकेश की शुरूआती बाजियों में शतरंज के स्तर की आलोचना की है लेकिन पांच बार के विश्व चैंपियन और गुकेश के ‘मेंटोर’ आनंद ने कहा कि उन्होंने कल ‘गुकेश द्वारा इतिहास बनते देखा’।
आनंद ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है। मैं कल सचमुच इतिहास बनते देख रहा था। यह (आलोचना) हर मैच के साथ आती है। ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है कि यह बस क्षेत्र के साथ आती है। आप इसे अनदेखा कर दीजिये, बस सब ठीक। आप गुकेश की उपलब्धि, उसकी योग्यता और सब कुछ जानते हैं। अगर आप ओलंपियाड देखें तो उसने दिखाया कि वह वास्तव में बहुत मजबूत खिलाड़ी बन गया है।’
आनंद ने कहा, ‘उसने इस साल कैंडिडेट्स जीता, टोरंटो में काफी अच्छे परिणाम मिले और वह यहां खेलने पहुंचा। इसलिए यह सब (आलोचना) इसके साथ आती है। आप आलोचनाओं के बिना विश्व चैंपियन बनने की उम्मीद नहीं कर सकते।’ चैंपियनशिप मैच ड्रॉ होने की ओर बढ़ता दिख रहा था। लिरेन दबाव में लड़खड़ा गए और एक बड़ी गलती कर बैठे।
आनंद ने कहा, ‘हममें से अधिकांश ने इस समय तक मैच को ड्रॉ मान लिया था। अगर डिंग अपना ‘बिशप’ वापस ले आते तो गुकेश को प्रगति करने में लंबा समय लगता। लेकिन फिर अचानक, खेल का रूख बदल गया और वह जीत गए। यह शानदार था।’ आनंद ने युवा चैंपियन के दृष्टिकोण की मनोवैज्ञानिक गहराई की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘गुकेश आक्रामक या इस तरह नहीं खेल रहा था। उसके पास एक अतिरिक्त ‘पॉन’ (प्यादा) था और वह रास्ता खोज रहा था।’
वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी में पिछले चार साल में गुकेश के बदलाव को देखते हुए दिग्गज खिलाड़ी ने कहा कि यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्व चैम्पियनशिप मैच तक के चक्र से लेकर उनके शानदार सफर को देखने का मौका मिला है। यह भारतीय खिलाड़ियों की एक स्वर्णिम पीढ़ी है जो खुद को शीर्ष पर स्थापित कर रहे हैं। गुकेश का इतिहास में सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनना सचमुच अद्भुत और विशेष है। गुकेश जैसे करिश्माई खिलाड़ियों की यह निश्चित रूप से एक बहुत ही प्रतिभाशाली स्वर्णिम पीढ़ी है।”