एफएनएन, बरेली: बरेली की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था “लेखिका संघ” के तत्वावधान में कवयित्री मीरा मोहन के इंद्रानगर स्थित आवास पर रससिद्ध काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। बहुत से चर्चित कवियों और कवयित्रियों ने गोष्ठी में अपने गीत, ग़ज़लों से रस और आनंद के चटख रंग भर दिए। अध्यक्षता बरेली के वरिष्ठ कवि आचार्य देवेंद्र देव ने की और मुख्य अतिथि हिमांशु श्रोत्रिय “निष्पक्ष” रहे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ गीतकार कमल सक्सेना ने किया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात डॉ. किरण कैंथवाल की वाणी वंदना से कवि गोष्ठी का शुभारम्भ हुआ।
वरिष्ठ गीतकार कमल सक्सेना ने बेटियों पर अपनी ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा कि,,
” मांग में सिंदूर तेरे हाथ में. कँगन रहे।
जन्म जन्मों. तक तुम्हारे. प्यार का बंधन रहे।
हाथ में आयी तेरे अब दो घरों की आबरू,
भूल जाना पत्थरों को सामने दर्पण रहे।”
हिमांशु श्रोत्रिय “निष्पक्ष” ने कहा,,
” है बहुत मुश्किल पुनः आना फसल ईमान की।
हो गयी हैं खोखली काफी जड़ें इंसान की।
लोग तो मशगूल हैँ अपने घरों की फ़िक्र में,
तू कहाँ से बात ले बैठा है हिंदुस्तान की।”
संस्था की संरक्षक श्रीमती निर्मला सिंह जी ने जिंदगी पर अपनी कविता पढ़ी,,,
“मौसम सी बदलती दुनियाँ में इंसान के रूप बदलते हैँ।
जीवन का सफ़र तो लम्बा है हम धूप छाँव में चलते हैँ।”
कवियों ने अपनी कविताओं, गीत और ग़ज़लों से गोष्ठी को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। गोष्ठी में
दीप्ती पांडे संस्थाध्यक्ष, चित्रा जौहरी उपाध्यक्ष और डाॆ. किरण कैंथवाल सचिव के साथ ही अविनाश अग्रवाल, सुधीर मोहन, मीरा मोहन, मोना प्रधान, मीना अग्रवाल, शैलजा भारद्वाज आदि ने भी काव्य पाठ किया। देर रात तक कवि गोष्ठी चलती रही। समापन पर मीरा मोहन ने सभी का आभार व्यक्त किया।