- मुख्यमंत्री बोले, केंद्र से पंजीकरण व क्वारंटाइन पर करेंगे चर्चा
एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के लोगों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है। केंद्र की गाइडलाइन जारी होने के बाद भी प्रदेश सरकार ने फिलहाल राज्य में निर्वाध आवागमन के निर्देश को टाल दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ कर दिया है कि वह राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए पहले केंद्र से परामर्श लेंगे, उसके बाद हो कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश में प्रतिदिन 2000 लोगों को प्रवेश की अनुमति देने की व्यवस्था पर भी इसके बाद ही विचार होगा। आपको बता दें कि गुजरे शनिवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों के सीएस को पत्र भेजकर अंतरराज्यीय और राज्य के भीतर व्यक्तियों और वाहनों की आवाजाही पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाने पर आपत्ति जताई थी। यह भी कहा था कि आवाजाही के लिए राज्य सरकार या जिला प्रशासन से किसी भी तरह की अनुमति या ई-परमिट की जरूरत नहीं। शनिवार और रविवार को यह मामला काफी गर्म रहा लेकिन सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। हालांकि सीएस की ओर से इतना भरोसा दिलाया जाता रहा कि मुख्यमंत्री के समक्ष फाइल पेश कर दी गई हैऔर निर्णय उन्हीं को लेना है। सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्थिति साफ कर दी। कहा कि केंद्रीय गृह सचिव के पत्र पर सरकार विचार कर रही है। इस बारे में केंद्र से वार्ता कर फैसला लिया जाएगा।
मुख्य सचिव बोले, केंद्र की गाइड लाइन पर ही लगाई थी रोक
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मुख्यमंत्री के फैसले के बाद एक बैठक में केंद्रीय गृह सचिव के पत्र पर चर्चा की। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में राज्य में बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। ऐसे व्यक्तियों को क्वारंटाइन करने के लिए संस्थागत या होम आइसोलेशन की व्यवस्था लागू है। मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में मौजूदा व्यवस्था केंद्र की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार लागू की गई। इसमें संशोधन से पहले केंद्र सरकार को पत्र भेजकर बाहर से राज्य में आने वाले व्यक्तियों के बारे में परामर्श मांगा जाएगा। तब तक वर्तमान व्यवस्था लागू रहेगी।
खोखो से चल रहा है वसूली का खेल
उत्तराखंड बॉर्डर पर खुलकर वसूली का खेल चल रहा है।ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के नाम पर यात्रियों से अनाप-शनाप पैसा वसूला जा रहा है। जो रजिस्ट्रेशन आपके मोबाइल या कंप्यूटर से 2000 लोगों का हवाला देकर कैंसिल हो जाता है,वही इनके कंप्यूटर से हरी झंडी दे देता है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुलिस प्रशासन इस मामले में चुप्पी क्यों साधे बैठा है।