एफएनएन, जालंधर: दसवीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी के दूसरे सप्ताह से शुरू हो रही हैं। सिलेबस भी स्कूलों में पूरा हो चुका है और रिवीजन चल रही है। 12वीं की भले स्कूल में कक्षाएं लग रही हैं, जबकि दसवीं की ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं।
यही कारण है कि सितंबर माह में हुई परीक्षाओं के तहत ही 40 प्रतिशत से कम, 40 से 80 प्रतिशत और 80 से अधिक प्रतिशत लाने वाले अंक लाने वाले विद्यार्थियों की पहचान कर उनकी कमियों को दूर किया जा रहा है। ताकि प्रत्येक विद्यार्थी अच्छे अंकों के साथ पास हो और सरकारी स्कूलों से अधिक संख्या में विद्यार्थी मैरिट हासिल करें। यही नहीं शिक्षकों की तरफ से परीक्षाओं में रही कमियों को दूर करने के लिए निरंतर टेस्ट के जरिये मूल्यांकण करते हुए परफार्मेंस को बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए विद्यार्थियों को लर्निंग मटीरियल के साथ-साथ नोट्स भी दिए जा रहे हैं।
विद्यार्थियों की परफार्मेंस को बढ़ाना है लक्ष्य
सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल हजारा की प्रधानाचार्य कुलदीप कौर ने कहते हैं कि सिलेबस तो पहले से ही खत्म हो चुका था और रिवीजन कक्षाएं लगाई जा रही थी। इसके साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं के जरिये भी उनके डाउट्स क्लियर किए जा रहे हैं। जिससे प्रत्येक विद्यार्थी अच्छे अंकों के साथ कक्षा में उत्तीर्ण और अधिक संख्या में विद्यार्थियों की मैरिट आए।
रिवीजन के समय प्रत्येक विद्यार्थी की कमियों को दूर करने पर फोक्स
सरकारी मॉडल सह शिक्षा सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रधानाचार्य मनिंदर कौर कहते हैं कि मिशन शतप्रतिशत को पूर्ण रूप से साकार करने के उद्देश्य से रिवीजन कक्षाओं के साथ-साथ डाउट सत्र रखे जा रहे हैं। जिसमें विद्यार्थियों की परफार्मेंस को बढ़ाने पर शिक्षक जोर दे रहे हैं। क्योंकि प्रत्येक वर्ष मैरिट लाने की संभावनाएं रखने वाले विद्यार्थियों की पहचान कर ली जाती हैं और कमजोर विद्यार्थियों की भी। इस दौरान रिवीजन के समय प्रत्येक विद्यार्थी की कमियों को दूर करने पर फोकस किया जा रहा है।