राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिवक्ता ने जिला प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों से मांगे सभी जरूरी विधिक दस्तावेज और पूरा ब्यौरा
फ्रंट न्यूज नेटवर्क, बरेली। फतेहगंज पश्चिमी में हाईवे-रेलवे ट्रैक से सटी रुई रबड़ फैक्ट्री की अरबों कीमत की जमीन राज्य सरकार के पक्ष में वापस लेने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट और डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) में नए केस दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिला प्रशासन और यूपीसीडा के अधिकारी फिलहाल अपने-अपने स्तर पर दस्तावेज तैयार करवा रहे हैं। नए केसों की पैरवी के लिए नामित वकीलों द्वारा वाछित ब्योरा भी जुटाया जा रहा है।
नए केस की पैरवी के लिए नामित मुंबई हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य ठक्कर की 4 दिसंबर को मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल की अध्यक्षता में रबड़ फैक्ट्री केस से संबंधित अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी। इस दौरान श्री ठक्कर ने राज्य-जिला प्रशासन के संपंधित अफसरों से फैक्ट्री के केसके लिए जरूरी पूरा कानूनी ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा था। प्रशासन अब श्री ठक्कर द्वारा मांगे गए सभी आवश्यक दस्तावेज जुटाने में लगा है। इधर, उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार ने भी जिला प्रशासन को पत्र भेजकर 4 दिसंबर की बैठक का हवाला देते हुए अधिवक्ता श्री ठक्कर द्वारा मांगा गया ब्यौरा और दस्तावेज शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि पिछले 25 वर्षों से अघोषित तौर पर बंद पड़ी सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड (रबड़ फैक्ट्री) की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1960 में मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। लीज डीड में शर्त शामिल की गई थी कि फैक्ट्री बंद होने पर सरकार जमीन वापस ले लेगी लेकिन 15 जुलाई 1999 को फैक्ट्री बंद हुई तो राज्य सरकार उस पर कब्जा नहीं ले सकी।
मुंबई के वकील ने इन बिंदुओं पर मांगी है जानकारियां?
1-वर्ष 1960 के समझौते और हस्तांतरण विलेख के बाद भूमि अभिलेखों में प्रासंगिक प्रविष्टियां क्या कहती हैं और भूमि अभिलेखों की वर्तमान स्थिति क्या है?
2-क्या भूमि अधिग्रहण (कंपनी) नियम 1963 या भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 44ए को लागू करने के लिए कोई संशोधन या सुधार या फिर किसी भी प्रकार का दस्तावेजीकरण किया है?
3-भूमि अधिग्रहण (कंपनी) नियम 1963 को विषय लेनदेन पर लागू करने के लिए कोई संशोधन या शुद्धिपत्र या किसी भी प्रकार का दस्तावेजीकरण किया है?
4-पेपरबुक में दी गई सूची में उल्लिखित है कि 2009-2010 में राज्य सरकार ने 19 जून 1960 के समझौते के खंड 3 के तहत प्रदत्त शक्ति के आधार पर राष्ट्रीय राजमार्ग 24-मुरादाबाद-बरेली खंड के विकास के लिए 1280.23 एकड़ की कुल भूमि में से 9.3746 हेक्टेयर भूमि दी थी।- इस आदेश/अधिसूचना की सत्यापित प्रति भी मांगी गई है।
5-12 जुलाई 2002 के आदेश के अनुसार रबड़ फैक्ट्री की समस्त अचल परिसंपत्तियों की देखरेख एवं संरक्षण का दायित्व मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा अधिकृत ऋण वसूली न्याधिकरण (डीआरटी) के रिसीवर/वरिष्ठ अधिवक्ता एमवी ठक्कर पिछले कई साल से संभाल रहे थे।
6-राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिवक्ता आदित्य ठक्कर ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि हमने (रिसीवर ने) फैक्ट्री की अचल परिसंपत्तियों का कब्जा किससे और कैसे हासिल किया था? कब्जा दोबारा प्राप्त करने के संबंध में भी सभी आवश्यक दस्तावेज मांगे हैं।
7-यहां यह भी बताते चलें कि लखनऊ में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के समक्ष राज्य सरकार द्वारा दायर प्रतिभूतिकरण आवेदन संख्या 150/2018 की प्रति भी उक्त अधिवक्ता द्वारा संबंधित उच्चाधिकारियों से अति शीघ्र और पूरी तत्परता से उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया गया है।
8-यह भी पूछा गया है कि बंधक बीमा के प्रपत्र उपपंजीयक कार्यालय में पंजीकृत हैं, या सिर्फ भूमि अभिलेखों में ही दर्शाए गए हैं।
9-अधिवक्ता ने उक्त परिसंपत्तियों की वर्तमान स्थिति का पूरा ब्यौरा भी तलब किया है। पूछा है कि जमीन किसी के कब्जे में है, या खाली है? या फिर इसका कोई उपयोग किया जा रहा है?