श्रमिक नेता अशोक मिश्रा ने श्रीराधाकृष्ण मंदिर में रबड़ फैक्ट्री कर्मियों की बैठक में दस्तावेज़ फौरन जमा करवाने की दी हिदायत
एफएनएन ब्यूरो, फतेहगंज पश्चिमी-बरेली। लगभग 25 वर्ष पहले अघोषित तालाबंदी के बाद जबरन सवैतनिक अवकाश पर भेजे गए रबड़ फैक्ट्री के सभी 1432 विस्थापित स्थायी कर्मचारियों को उनके समस्त विधिसम्मत देयों का अविलंब भुगतान करवाने के मुद्दे पर सोमवार 27 जनवरी को श्रीराधा-कष्ण मन्दिर में महत्त्वपूर्ण बैठक हुई।
लम्बे समय से रबड़ फैक्ट्री मजदूरों के हितों के लिए संघर्षरत एस & सी कर्मचारी यूनियन के महामंत्री/श्रमिक नेता अशोक कुमार मिश्रा ने बैठक में भयंकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे सभी विस्थापित रबड़ फैक्ट्री कर्मियों को बताया कि उच्च न्यायालय मुम्बई के ऑफिशियल लिकयूडेटर (ओएल) द्वारा 330 ऐसे रबड़ फैक्ट्री श्रमिकों की लिस्ट भेजी है जिन्होंने बार-बार मांगने पर भी अभी तक अपने आधार कार्ड, जन्म तिथि, ग्रेड के सबूत और भर्ती होने तथा संभावित रिटायरमेन्ट की तिथि के अभिलेख/साक्ष्य जमा नहीं कराए हैं।
श्री मिश्रा ने बैठक में कहा कि कुछ श्रमिकों ने तो ज्वाइनिंग लेटर तक जमा नही किए हैं। ऑफिशियल लिक्विडेटर द्वारा कुछ श्रमिकों की कुल पीएफ जमाराशि का भविष्य निधि कार्यालय के अभिलेखों से मिलान नहीं होने पर उनसे ये आवश्यक दस्तावेज मांगे गए थे। संबंधित श्रमिकों द्वारा उक्त दस्तावेज उपलब्ध करवाने के बाद ही आफिशियल लिक्यूडेटर उनके भुगतान सम्बंधित पत्र को भविष्य निधि कार्यालय को भेजेगा।

श्री मिश्रा ने यह भी बताया कि सभी आवश्यक दस्तावेज/साक्ष्य समय पर भिजवा चुके 530 मजदूरों के पी एफ राशि के भुगतान संबंधी पत्र आफीशियल लिकयूडेटर उच्च न्यायालय के मार्फत भविष्य निधि कार्यालय को भेज भी चुका है। श्रमिक नेता प्रमोद कुमार ने बताया कि भयंकर आर्थिक तंगी से जूझते हुए मानसिक रूप से प्रताड़ित रबड़ फैक्ट्री के कई विस्थापित मजदूर तकरीबन हर महीने बीमारियों का इलाज नहीं करा पाने की वजह से असमय ही मौत के मुंह में समा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही कमिश्नर बरेली सौम्या अग्रवाल को भी ज्ञापन देकप सभी रबड़ फैक्ट्री मजदूरो को उनके सभी वैधानिक देयों का भुगतान शासन स्तर पर पैरवी कर शीघ्र करवाने की मांग भी की जा चुकी है। इससे पहले रबड़ फैक्ट्री मजदूरों की समस्याओं से मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार मनोज कुमार सिंह को भी अवगत कराया था। बैठक में कड़ाके की सर्दी के बावजूद दो दर्जन से अधिक रबड़ फैक्ट्री के विस्थापित श्रमिकों ने सक्रिय सहभागिता की।