विवेचक और अन्य संबंधित अफसरों पर भी विभागीय जांच और कार्रवाई का हुक्म
फास्ट ट्रैक कोर्ट फर्स्ट बरेली के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर का एक और चर्चित फैसला
2010 दंगों में मौलाना तौक़ीर रज़ा की भूमिका को लेकर सुनाए अपने फैसले से भी आए थे चर्चा में
एफएनएन ब्यूरो, बरेली। “तीन बच्चों की जिस मां का पहले पति से तलाक भी नहीं हुआ हो, वह किसी दूसरे युवक के साथ शादी के झांसे में कैसे आ सकती है? और कोई बगैर उसकी मर्जी के तीन साल तक जबरन संबंध बनाकर कैसे रख सकता है?-फास्ट ट्रैक कोर्ट फर्स्ट बरेली के विद्वान न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने यह सवाल उठाते हूए दुष्कर्म के अभियुक्त को बेकसूर ठहराते हुए बरी कर दिया है। झूठे केस में फंसाने पर महिला पर एक हजार रुपये हर्जाना ठोंका है और विवेचना से जुड़े पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए धारा 219 के तहत विभागीय जांच और कार्रवाई कराने के लिए एसएसपी बरेली को भी निर्देशित किया है।
दरअसल, तीन बच्चों की मां ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए एक युवक पर प्राथमिकी लिखाई थी। दी। पुलिस ने भी मामला प्रेम प्रसंग का मानते हुए भी पक्षपातपू्र्ण ढंग से आंख बंद कर विवेचना की और युवक को जेल भेजकर कोर्ट में चार्जशीट भी लगा दी थी।
अविवाहित युवक से हो गए थे प्रेम संबंध
पति से अलग रह रही तीन बच्चों की मां 34 साल की महिला के कर्मचारी नगर निवासी अविवाहित शिवम से संबंध हो गए। यह सिलसिला वर्ष 2016 से 2019 तक चला। महिला ने जुलाई 2019 में प्रेमनगर थाने में प्राथमिकी लिखाई कि आरोपित शिवम ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और अब शादी नहीं कर रहा है। उसने पुलिस को बताया कि वह तीन बच्चों की मां है। शिवम तीन साल से उसका शारीरिक शोषण करता रहा। शहर के बाहर महंगे होटलों में ठहराकर उसके साथ पत्नी जैसे संबंध बनाता था। उसका अपने पति से तलाक नहीं हुआ है।
पुलिस ने चार्जशीट लगा दी थी
इस मामले में पुलिस ने निष्पक्ष पड़ताल किए बगैर शिवम के विरुद्ध चार्जशीट अदालत भेज दी। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस ने निर्दोष को जेल भिजवाने में महिला की मदद की। बीते फरवरी माह में मुकदमा सेशन कोर्ट में सुनवाई के लिए पेश किया गया था।
महिला पर अदालत ने जुर्माना भी लगाया है
महज छह माह में ही रविकुमार दिवाकर कूी फास्ट ट्रैक अदालत ने इस केस में फैसला सुनाते हुए आरोपी शिवम को निर्दोष ठहराकर बरी कर दिया है। महिला को आदेश दिया है कि आरोपी को एक हजार रुपये हर्जाना महीने भर के भीतर अदा करे। महिला से साठगांठ कर झूठे केस में फंसाने पर तत्कालीन विवेचक दारोगा सोनिया यादव, प्रेमनगर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर बलवीर सिंह और सीओ- प्रथम श्वेता यादव के विरुद्ध भी धारा 219 के तहत विभागीय जांच और कार्रवाई सुनिश्चित कराने के एसएसपी बरेली को निर्देश दिए हैं।
कड़े-निष्पक्ष फैसलों के लिए चर्चित रहे हैं रवि कुमार दिवाकर
कड़े-निष्पक्ष फैसलों के लिए चर्चित फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर का कुछ माह पहले 2010 बरेली दंगों में आईएमसी मुखिया तौक़ीर रज़ा खान की भूमिका को लेकर दिया गया और वाराणसी में तैनाती के दौरान ज्ञानवापी संबंधी उनका फैसला भी चर्चाओं में रहा है। ज्ञानवापी पर फैसले के बाद तो उन्हें और पूरे परिवार को हत्या की धमकियां तक मिलती रही हैं।