Thursday, February 20, 2025
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशपशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी तकनीक है 'जीनोम एडिटिंग'

पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी तकनीक है ‘जीनोम एडिटिंग’

आईवीआरआई इज्जतनगर में जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी की उपयोगिता पर प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली में मंगलवार से “वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास के लिए जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी की उपयोगिता” विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला में पहले दिन विशेषज्ञ वक्ताओं ने जीनोम एडिटिंग को पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी तकनीक बताया।

भारतीय क़ृषि अनुसन्धान परिषद (आईएआरआई) द्वारा जीनोम एडिटिंग परियोजना के अंतर्गत संचालित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और पशु चिकित्सा पेशेवरों को अत्याधुनिक जीनोम एडिटिंग तकनीकीयों से परिचित कराना है।
कार्यशाला का उद्घाटन केसीएमटी, बरेली के महानिदेशक डॉ. अमरेश कुमार और अध्यक्षता आईवीआरआई इज्जतनगर के निदेशक/सह- कुलपति, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने की। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. एस. के. सिंह, संयुक्त निदेशक (कैडराड) डॉ. सोहिनी डे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
डॉ. बबलू कुमार ने सभी गणमान्य व्यक्तियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया और मुख्य अतिथि डॉ. अमरेश कुमार तथा डॉ. त्रिवेणी दत्त का धन्यवाद किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बताया।

समन्वयक एवं पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. पी.के. गुप्ता ने एनपी-जीईटी परियोजना के उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की और देशभर से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें आई वी आर आई के इज्जतनगर, मुक्तेश्वर एवं बेंगलुरु परिसरों के विशेषज्ञ संकाय सदस्यों द्वारा व्याख्यान और प्रायोगिक सत्र आयोजित किए जाएंगे।
अपने संबोधन में आई वी आर आई के निदेशक, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के पशु चिकित्सा अनुसंधान में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास में जीनोम एडिटिंग की भूमिका पर चर्चा करते हुए इसे पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में परिवर्तनकारी तकनीक बताया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनपी-जीईटी टीम को बधाई दी। डॉ दत्त ने प्रतिभागियों को अवगत कराया की इस नेटवर्क परियोजना की कुल आवंटित राशि करीब 38 करोड़ है एवं आईसीएआर के 13 संस्थान इसमें शामिल हैँ। इस परियोजना को संचालित करने की जिम्मेदारी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान की है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अमरेश कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में आईवीआरआई की सराहना करते हुए कहा कि जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में क्षमता निर्माण गतिविधियां पशु चिकित्सा विज्ञान के भविष्य को नया आयाम देंगी। उन्होंने प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया और ब्लूफिन मछली में जीनोम एडिटिंग के एक सफल उदाहरण की चर्चा की। उन्होने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान द्वारा आधुनिक युग के तकनिकी जैसे जिनोम एडिटिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सराहना की।

कार्यशाला के अंत में डॉ. सोनालिका महाजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. आई. करुणा देवी द्वारा किया गया। इसमें विभिन्न विभागों के प्रमुखों और प्रशिक्षण कार्यक्रम के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

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