कुछ दिन पहले से बदलने लगती है सुसाइड की तैयारी करने वालों की मनोदशा, करीबियों का मिजाज पढ़ सकें तो रुक सकती हैं खुदकुशियां
एफएनएन ब्यूरो/नई दिल्ली/World suicide Prevention Day: “अपने करीबियों और आसपास रहने वालों के मिजाज़ में अचानक हुए बदलाव को संज्ञान में लेकर समय रहते उचित कदम उठा लिए जाएं तो इनमें से कई प्रियजनों को आत्महत्या करने से रोका भी जा सकता है।” मनोरोग विशेषज्ञों का शोध बताता है कि आत्महत्या करने वाले लोगों के व्यवहार में कुछ दिनों से बदलाव आने लगते हैं। ऐसे लोग अक्सर गुमसुम रहते हैं और खुद को अलग-थलग कर लेते हैं। इसके अलावा कोई बड़ा आर्थिक-पारिवारिक नुकसान भी आत्महत्या की वजह बन सकता है।
विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा आत्महत्याएं कर रहे हैं। दरअसल, पुरुषों में आवेग की स्थिति महिलाओं से ज्यादा होती है। संकट की स्थिति में महिलाएं आमतौर पर खुद को काफी हद तक संभाल लेती हैं। लेकिननपुरुष जल्दी हार मान लेते हैं और खुद को खत्म करना ही उन्हें एक रास्ता दिखता है।
विश्व आत्म हत्या निषेध दिवस पर डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. लोकेश शेखावत ने बता़या कि आत्महत्या करने वाले लोगों की मनोस्थिति में तेजी से बदलाव होता है। ऐसे लोगों की पहचान आसान है। हमें अपने आसपास के लोगों पर ध्यान देना चाहिए। यदि किसी को बड़ा नुकसान हुआ है और वह जिंदगी को बेकार मानने लगा है तो कृपया तुरंत सतर्क हो जाएं। ऐसे ही लोग अपनी जिंदगी को कभी भी खत्म कर सकते हैं।
चल रहा है शोध
डॉ. शेखावत ने बताया कि आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों के शवों का पोस्टमार्टम करने के दौरान रीढ़ की हड्डी से पानी निकालकर जांच की जाती है। आत्महत्या के कई केसों में इस पानी में मेटाबोलाइट 5 एचआईएए कम मिला। हालांकि पुष्टि होने तक इसका सीधा संबंध फिलहाल सुसाइड से नहीं माना जा सकता। यह सिद्ध करने के लिए अभी शोध चल रहा है बता दें कि हाइड्रॉक्सीइंडोलएसेटिक एसिड (5-एचआईएए) एक मेटाबोलाइट है, जो सेरोटोनिन से बनता_है। सेरोटोनिन एक रसायन और न्यूरो ट्रांसमीटर है। मानव शरीर इसका इस्तेमाल करता है।
बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले
वर्ष 2022 की भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या (एडीएसआई) रिपोर्ट में आत्महत्या के मामले 2021 की तुलना में 4.2 फीसदी बढ़े हैं। कुल 170924 लोगों ने आत्महत्या की। यह पिछले 56 सालों में सबसे ज्यादा है। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर उम्र के समूहों में आत्महत्या की दर में पांच फीसदी की वृद्धि हुई, लेकिन 18 साल से कम उम्र के बच्चों में थोड़ी गिरावट आई है। 18-30 साल के युवा आत्महत्या के 35 फीसदी मामलों में शामिल थे, जबकि 30-45 साल के लोग 32 फीसदी केसों में शामिल थे।
हाई सुसाइड रिस्क पर रहते हैं ऐसे लोग
टनल विजन – कुछ भी समझ न पाना
बड़ा नुकसान – आर्थिक, सामाजिक, मानसिक या अन्य
आवेग वाले व्यक्ति – जो लोग परिणाम के बारे में नहीं सोचते
नशा – ज्यादा नशा करने वाले
अनुवांशिक – परिवार में कई लोग सुसाइड कर चुके हों।