एफएनएन,बरेली : पीरो-मुर्शिद हजरत शाह सकलैन मियां कादरी को आज लाखों नम आंखों के बीच दरगाह शराफत मियां परिसर में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। सकलैन मियां 54 साल तक खानकाह शराफतिया के सज्जादानशीन रहे। उनके बारे में कहा जाता है कि वह पैदाइश से ही रुहानियत के मालिक थे। शुक्रवार को उनका विसाल हो गया था। रविवार को इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में सुबह 10 बजे नमाज-ए-जनाजा अदा किए जाने के बाद उन्हें दरगाह शराफत मियां परिसर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सुपुर्द ए खाक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी शामिल हुए। हालत यह थी कि सड़क से लेकर चाटो और इस्लामिया ग्राउंड में पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी।
आपको बता दें कि हजरत मौलाना शाह मोहम्मद बशीर मियां ने 12 मार्च 1947 को हजरत मौलाना शाह शराफत अली मियां को अपने घर बुलाया था। कहा था कि आप अपने घर जाइए मौलवी साहब। आपके घर पौत्र (मोहम्मद सकलैन मियां ) का जन्म होने वाला है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी दस्तार दी और कहा कि इसका कुर्ता सिलवाकर उसे पहनाइएगा। ठीक दूसरे दिन 13 मार्च 1947 को हजरत शाह मुहम्मद सकलैन मियां का जन्म हुआ था।
मोहम्मद बशीर की कही बात सच साबित हुई तो शराफत मियां ने उनकी दी हुई दस्तार का कुर्ता बनवाकर सकलैन मियां को पहनाया। बताते हैं कि यह मोहम्मद बशीर मियां का इशारा था कि वह सकलैन मियां को अपना उत्तराधिकारी और प्रतिनिधि मान चुके थे। हजरत सकलैन मियां की मां हज्जन सिद्दीका खातून ने उनको इस्लामी, रुहानी शिक्षा दी।
चार साल की उम्र में इनके दादा शराफत अली मियां इन्हें ककराला से बरेली स्थित खानकाह शराफतिया ले आए और यहां उनकी तालीम शुरू हुई। 12 वर्ष की उम्र में उनके पिता हजरत सूफी शाह शुजाअत अली मियां का विसाल हो गया और इन्हें 17 वर्ष की उम्र में शराफत मियां ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। दरगाह के मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया कि 1969 में पीरो मुर्शिद हजरत शाह शराफत मियां के विसाल के बाद सकलैन मियां सज्जादानशीन बने थे।
आज सकलैन मियां के जनाजे की नमाज को लेकर पुलिस अलर्ट रही। यहां 300 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी, जिनमें से कुछ छतों पर भी तैनात रहे। तीन थाना प्रभारियों की भी तैनात की गई थी। कुतुबखाना इलाके में स्थित दरगाह से इस्लामियां कॉलेज तक पुलिस को मुस्तैद किया गया था। एमबी इंटर कॉलेज, बरेली कॉलेज और माल गोदाम को पार्किंग स्थल बनाया गया था।