
राज सक्सेना, रूद्रपुर : प्राचीन युद्ध कला को भूल चुके लोगांे को पुनः उसका ज्ञान देने के साथ गूण जानकारी के अवगत कराना का प्रयास करते हुए नगर क्षेत्र निवासी राम सारस्वत द्वारा विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में युद्ध अभ्यास शिक्षण कक्षाओं को लगा लोगांे को इसकी जानकारी उपलब्ध करा रहे है, उनके अनुसार प्रचानी युद्ध कला को नवीन नाम देकर (मार्शल आर्ट) हमारी संस्कृति से हमे दूर करने का प्रयास किया जा रह है।
जिसको पुनः जीवित करने के उद्देश्य से वह निरन्त लोगों को जागरुक करने का प्रयास कर रहे, भेट के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिक शिक्षा गुजरात शंति मंदिर से पूर्ण की, जिसके उपरान्त उन्होंने अग्रिम शिक्षा गुजरात से ही पूरी करने के बाद पिता मदन मोहन की इच्छ के अनुरुप आगामी शिक्षा को युद्ध कलां के रुप में गृहण करने का उद्देश्य बनाया, जिसके तहत उन्होंने केरला के परशुविक्कल के कलारी धार्मिकम आश्रम से युद्ध कला का अभ्यास किया, जहां उन्होंने जीवन के तीन वर्षो की कठिन परिश्रम के उपरान्त उन्होंने कलरी पयट्टू (युद्ध अभ्यास) का ज्ञान प्राप्त किया। जिसके उपरान्त उनका उद्देश्य था अपनी संस्कृति से उत्तराखण्ड के नगर क्षेत्र को इससे रुबरु कराना।
जिसको लेकर उन्होने स्थानीय स्कूलो में प्रातः एवं सायं काल के दौरान स्थानीय बच्चों को शिक्षा देने हेतु कार्य शाला का आयोजन किया। उन्होंने बताया कि उनके युद्ध अभ्यास के प्रयास वह समाज के बदलते स्वरुप में महिलाओं एवं बालिकाओं को स्वयं की रक्षा करने के लिए मजबूत बनाना चाहते है।
उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए युद्ध अभ्यास का कला का सर्वाधिक प्रचार प्रसार किया जाता है, जिसको लेकर वह स्थानीय लोगों को भी इस कलां से जोड़ने का प्रयास कर रहे है।
किच्छा : कलरी पयट्टू स्वदेशी युद्ध कलां के साथ आत्म रक्षा के गुण सीखने का बेहतरीन अभ्यास कला है, हमे उक्त कलां को भूल विदेशी कलाओं का अभ्यास कर रहे है, जो अपनी संस्कृति से जोड़ने का काम करता है, देश के युवाओं को स्वदेशी कलां के साथ जुड़ कर देश को मजबूत बनाने का काम करना चाहिए।
योगेश कुमार, एडलवाईस स्कूल प्रधानार्चाय
फोटो संख्य- 20केसीएचपी 02, 03

