एफएनएन, लखीमपुर खीरी : लखीमपुर खीरी के गांव भैरमपुर के मंजीत के परिजन दोहरी मुसीबत में है। एक तो परिवार का भरण-पोषण करने वाला मंजीत यहां से कोसों दूर उत्तरकाशी की एक सुरंग में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं दूसरी ओर परिवार का आर्थिक संकट बढ़ रहा है। घर में जो कुछ भी है, उससे बनने वाले खाने का निवाला उनके गले के नीचे नहीं उतर रहा है। मंजीत की कुशलता की खबर तो उन्हें मिल रही है लेकिन उसकी चिंता में मां को रात में नींद नहीं आ रही है।
बेलराया से पांच किलोमीटर की दूरी पर जंगल के किनारे बसे गांव भैरमपुर में मंजीत का परिवार रहता है। जहां उसकी मां, दो बहनें और बूढे दादा हैं। इन्हीं के भरण पोषण के लिए मंजीत उत्तरकाशी मजदूरी करने गया था। मां चौधराइन ने कहा था कि दिवाली पर चले आना, लेकिन वह मजबूरी वश नहीं आ सका। घटना के दूसरे दिन मंजीत के पिता चौधरी उत्तरकाशी रवाना हो गए थे। उनके पास मोबाइल भी नहीं है। दूसरों से मोबाइल लेकर बात करते हैं। परिवार वालों ने बताया कि शनिवार को उनका फोन आया था। बताया कि बेटा मंजीत ठीक है। एक-दो दिन में निकल आएंगे।
परिजनों ने बताया कि 13 दिन बीत गए हैं। उम्मीद टूटने लगी है। बचाव कार्य में लगी मशीनें जब रुक जाती हैं, तो ऐसा लगता है कि जिंदगी रुक गई है। सारी उम्मीद अब मशीनों से रह गई है। यही प्रार्थना है कि मशीन चले तो रुके नहीं। उधर, बाबा बिंद्रा प्रसाद बताते हैं क्या करें, हम लोग कहां जाएं। एसडीएम साहब रात आठ बजे आए थे। राशन और आश्वासन दे गए हैं।
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‘आखिर कब सुरंग से निकलेगा बेटा’