एफएनएन, नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच रविवार को कृषि क्षेत्र में जुड़े दो विधेयक संसद में पास हो गए। राज्यसभा में कृषि विधेयक 2020 ध्वनि मत से पास हो गया। इस दौरान, विपक्षी पार्टी के सांसदों ने तानाशाही बंद करो के नारे भी लगाए। विपक्षाी सांसदों के हंगामें के चलते एक बार 10 मिनट के लिए राज्यसभा में कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रयन ने उपसभापति के आसन के पास पहुंचकर रूल बुल फाड़ दिया और माइक छीनन की कोशिश भी की गई। आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही नियमों के खिलाफ हुई है। सरकार ने जोर देकर कहा कि ये बिल ऐतिहासिक है और किसान के जीवन में बदलाव लाएंगे। कृषि क्षेत्र के विधेयकों को पिछले सप्ताह लोकसभा में पास करा लिया गया था।
कृषि मंत्री ने क्या कहा
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से कोई भी लेना-देना नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही थी और आने वाले समय में भी होगी। इसमें किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये बिल किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की स्वतंत्रता होगी। उन्होंने कहा कि बिलों के बारे में कई तरह की धारणाएं बनाई गई हैं। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी। इन विधेयकों के माध्यम से किसानों के जीवन में बदलाव आएगा।
YSR कांग्रेस ने कृषि विधेयक का किया समर्थन
YSR कांग्रेस के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पूर्व की सरकार मिडलमैन का समर्थन करती थी। किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचैलियों और उनके कार्टेल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके इस बयान पर कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा किया। कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने इसे शर्मनाक करार दिया। वहीं, जेडीयू ने भी कृषि विधेयक का समर्थन किया है। पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में एपीएमसी अधिनियम से हटने वाला पहला राज्य था। तब से कृषि उत्पादन और खरीद एमएसपी के साथ बढ़ी है।