Thursday, June 19, 2025
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तर प्रदेशबरेली-आंवला लोकसभा क्षेत्रों में वर्ष 2009-2024 के बीच हुए विकास कार्यों की...

बरेली-आंवला लोकसभा क्षेत्रों में वर्ष 2009-2024 के बीच हुए विकास कार्यों की गुणवत्ता परखने को मोदी सरकार ने बैठाई जांच  

पूर्व सांसद प्रवीण ऐरन, संतोष गंगवार और धर्मेन्द्र कश्यप द्वारा सांसद निधि से कराए गए 80 विकास कार्य जांच के दायरे में, थर्ड-पार्टी एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को मिला जांच का जिम्मा

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। केंद्र सरकार ने बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान कराए गए 80 विकास कार्यों की जांच बैठा दी है। जांच का जिम्मा सरकारी अधिकारियों के बजाय स्वतंत्र थर्ड-पार्टी जांच एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को सौंपा गया है। डीआरडीए (जिला ग्रामीण विकास अभिकरण) को इन विकास कार्यों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसे नियोजन विभाग लखनऊ और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।


पूर्व सांसद संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप

वर्ष 2019 से 2024 के बीच बरेली से संतोष गंगवार और आंवला से धर्मेंद्र कश्यप सांसद थे। केंद्र सरकार ने इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में कराए गए 40-40 विकास कार्यों का बिंदुवार ब्योरा मांगा है। इसके आधार पर उनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता की थर्ड-पार्टी जांच कराई जाए।

रिपोर्ट में यह विवरण देना होगा कि सांसद निधि की पहली और दूसरी किस्त कब जारी हुई, किस वित्तीय वर्ष में कितने कार्य हुए और उनकी श्रेणी क्या थी, कौन सी संस्था ने काम किया और कितना खर्च हुआ, कार्य कब शुरू हुआ और कब पूरा हुआ,बीक्या जनता को कार्यों से लाभ मिला ?

डीआरडीए को 15 दिनों के भीतर यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी है, लेकिन स्थानीय अधिकारी अधिक समय की मांग कर रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह मुद्दा उठाया गया था।

एफसी इंडिया लिमिटेड द्वारा जांच के दौरान यह परखा जाएगा कि काम सही ढंग से हुआ या नहीं, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और स्थायित्व कैसा है, आवंटित धनराशि के हिसाब से जनता को कितना लाभ मिला।

इसके अलावा, इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में वर्ष 2009 से 2019 तक तत्कालीन सांसद प्रवीण सिंह ऐरन और संतोष गंगवार द्वारा सांसद निधि से कराए गए विकास कार्यों का भी ब्योरा मांगा गया है। पीडी डीआरडीए चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि रिपोर्ट तय मानकों के अनुसार तैयार की जा रही है और विभाग के एई (असिस्टेंट इंजीनियर) को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।

इस जांच को लेकर स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। अगर किसी भी परियोजना में अनियमितता पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के साथ ही तत्कालीन सांसद पर भी कार्रवाई हो सकती है। अब देखना यह होगा कि संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के कार्यकाल के विकास कार्य इस जांच में कितने पारदर्शी साबित होते हैं?

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments