एफएनएन, दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा टीके कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ काम नहीं करते हैं, लेकिन इसके कुछ म्यूटेशन टीकों की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं। नए वैरिएंट के सामने आने के बाद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इस बीच मंत्रालय ने कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर पूछे जा रहे सवालों (एफएक्यू) की एक सूची जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया है।
- टीकाकरण महत्वपूर्ण है
ओमिक्रोन वैरिएंट के दो मामले में गुरुवार को कर्नाटक में रिपोर्ट किए गए। ऐसे ंमें इस वैरिएंट को लेकर लोगों में दहशत है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर उठ रहे तमाम सवालों का जवाब दिए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ पर काम नहीं करते हैं, स्पाइक जीन पर रिपोर्ट किए गए कुछ म्यूटेशन मौजूदा टीकों की प्रभावकारिता को कम कर सकता है। हालांकि, वैक्सीन एंटीबाडी के साथ-साथ सेलुलर इम्युनिटी से सुरक्षा देते हैं। ऐसे माना जा रहा है कि टीके अभी भी गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करेंगे। टीकाकरण महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति टीका लेने के पात्र हैं और नहीं लिया है, तो तुरंत लें।
- तीसरी लहर की आशंका पर मंत्रालय ने क्या कहा
नए वैरिएंट के कारण कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका पर मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों में ओमिक्रोन के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। ऐसे में भारत सहित अन्य देशों में इसके फैलने की संभावना है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मामले कितनी तेजी से और किस पैमाने पर फैलेंगे। बीमारी की गंभीरता भी अभी स्पष्ट नहीं है।
- ओमिक्रोन वैरिएंट की पुष्टि के लिए जीनोमिक सिक्वेंसिंग आवश्यक
कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए किए जा रहे टेस्ट ओमिक्रोन का भी पता लगा सकते हैं? इसका जवाब देते हुए मंत्रालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए आमतौर पर आरटी-पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल किया जा है। इस विधि से संक्रमण की पुष्टि के लिए वायरस में विशिष्ट जीन का पता लगाती है, जैसे स्पाइक (एस), इनवेलप्ड (ई) और न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) आदि। हालांकि, ओमिक्रोन के मामले में, एस जीन बहुत अधिक म्यूटेट होता है, ऐसे में एस जीन की अनुपस्थिति का संकेत मिलता है (जिसे एस जीन ड्राप आउट कहते हैं)। अन्य वायरल जीन के साथ-साथ एस जीन ड्राप आउट को ओमिक्रोन का पता लगाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, ओमिक्रोन वैरिएंट की पुष्टि के लिए जीनोमिक सिक्वेंसिंग आवश्यक है।
- वैरिएंट आफ कंसर्न कैसे घोषित करता है डब्ल्यूएचओ
मंत्रालय ने आगे कहा कि डब्ल्यूएचओ मूल्यांकन के बाद किसी वैरिएंट को वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित करता है। संगठन देखता है क्या संक्रमण का प्रसार बढ रहा है या कोरोना एपडेमीलाजी में हानिकारण बदलाव आया है। यह भी देखा जाता है कि क्या सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक उपायों या उपलब्ध निदान या टीके की प्रभावशीलता में कमी आई है। ओमिक्रोन को नए म्यूटेशन, प्रसार और रीइंफेक्शन में बढ़ोतरी के कारण वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया गया है।
- पहले की तरह ही सावधानियां बरती जानी चाहिए
मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि कोरोना को लेकर पहले से बरती जा रहीं सावधानियों में कोई बदलाव नहीं है। मास्क लगाना, शारीरिक दूरी के नियमों का पालन होना चाहिए। वैक्सीन लगवाएं। भारत सरकार स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है और समय-समय पर उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी कर रही है। नए वैरिएंट सामने आना सामान्य बात है और जब तक वायरस संक्रमित करना और फैलना जारी रखता ऐसा होता रहेगा। इसके अलावा, सभी वैरिएंट खतरनाक नहीं होते हैं और अक्सर हम उनपर ध्यान नहीं देते हैं।