एफएनएन, नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस रूप में फैली महामारी पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। अब कोरोना के मामले में दोबारा अटैक की खबरें सामने आ रही हैं। हॉन्गकॉन्ग, इटली और अमेरिका में ठीक होने के बाद कोरोना के दोबारा संक्रमण होने के मामले सामने आने के बाद लोग घबराने लगे हैं। रीइंफेक्शन के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं लोगों के मन में इम्यूनिटी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
दूसरा संक्रमण बहुत हल्का
डॉक्टरों का कहना है कि पहले संक्रमण की तुलना में दूसरा संक्रमण बहुत हल्का होता है। पहली बार हुए संक्रमण की वजह से शरीर में लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है जो दूसरी बार वायरस को कमजोर कर देती है। स्टडी का कहना है कि फिलहाल हमें घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को एक गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन से मिली एंटीबॉडी लंबे समय तक टिकी रहेगी।
एंटीबॉडी के स्तर का अच्छा होना जरूरी
कोरोना के दोबारा संक्रमण के मामले में आइलैंड के लोगों पर की गई ये स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई है। स्टडी ने रीइंफेक्शन और इम्यूनिटी को लेकर लोगों की आशंकाओं को दूर किया है। स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 30,576 लोगों से सीरम के सैंपल लिए और छह अलग-अलग तरह की एंटीबॉडी टेस्टिंग की। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना से ठीक हो चुके 1,797 लोगों में से 91.1 फीसदी लोगों में अच्छे स्तर की एंटीबॉडी थी।
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