एफएनएन, बागेश्वर : कुंवारी गांव की पहाड़ी फिर से दरकने लगी है। इसके कारण गांव के लोगों में दहशत बनी हुई है। यहां 2010 से लगातार भूस्खलन हो रहा है। जिसका मलबा शंभू नदी में जाने से बीते दिनों झील बन गई थी। प्रशासन ने एसडीआरएफ की टीम भेज कर तालाब के पानी की निकासी कराई थी। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के मकानों के नजदीक तक भूस्खलन पहुंच गया है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
- दो दशकों से हो रहा भूस्खलन
कुंवारी गांव के लोग पिछले दो दशकों से भूस्खलन का दंश झेल रहे हैं। लगभग 110 परिवारों वाले कुंवारी गांव में कभी चहल-पहल हुआ करती थी। अब गांव में लगभग 64 परिवार रह गए हैं। गांव के पूर्व प्रधान किशन दानू ने बताया कि कुंवारी गांव में 20 वर्ष पूर्व शंभू नदी से जमीन कटनी शुरू हुई थी। इसके बाद पीछे की पहाड़ी भी दरकने लगी। 2010 से 2013 में आई आपदाओं में गांव के हर हिस्से में जबरदस्त भूस्खलन हुआ। गांव के खेत से लेकर रास्ते भी बह गए। लंबे समय तक लोगों को जंगलों में टेंटों में रहना पड़ा। वर्तमान में फिर से भूस्खलन हो रहा है। गांव के लोग दहशत में हैं।
- अतिसंवेदनशील गांव है कुंवारी
शासन ने कुंवारी को अतिसंवेदनशील घोषित किया है। ग्रामीणों को दूसरे सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया है। 64 परिवारों को मकान बनाने के लिए पांच-पांच लाख रुपये दिए हैं। वर्तमान में अधिकतर परिवार नए स्थान पर रह रहे हैं। जबकि मवेशी पुराने घरों में ही हैं। वर्षा और भूस्खलन की घटना ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। कुंवारी गांव में भूस्खलन पिछले दो दशक से हो रहा है। तहसील प्रशासन नजर रखे हुए हैं। गांव के लोग विस्थापित हैं। वर्षा कम होने बाद भू-कटाव को रोकने का इंतजाम होगा।