एफएनएन, नई दिल्ली- जिस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, उस दौरान सीमा पर चीन की हरकतों ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या एक बार फिर दोनों देशों के बीच 1962 जैसे युद्ध की स्थिति बन सकती है। एलएसी, वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में पिछले कई दिनों से चल रहे तनाव व उसके बाद दोनों ओर से हुई सैनिकों की झड़प के बाद ज्योतिषियों का कहना है कि 21 जून को सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र में लगा था, वहीं स्वतंत्र भारत की वृषभ लग्न की कंुडली में मंगल युद्ध स्थान यानि सप्तम भाव में 12वें घर यानि गुप्त शत्रु स्वामी होकर, धन स्थान यानि दूसरे घर में मिथुन राशि में बैठा है। ऐसे में वर्तमान में भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा पर चल रहे तनाव के बीच यह सूर्य ग्रहरण बेहद संवेदनशील रहा, जिसके आगामी कुछ दिनों में परिणाम सामने आ सकते हैं। आज एक बार फिर पुनः 58 वर्ष पश्चात तीन ग्रहों की युति ऐसी बन रही है जिसके कारण 1962 में भारत चीन युद्ध हुआ था।
चीन की कुंडली
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पाप ग्रहों से पीड़ित बुध नवम भाव में हो और चतुर्थ भाव या उसका स्वामी पीड़ित हो ते कपट योग का निर्माण होता है। चीन की कुंडली 1 अक्टूबर 1949 के मकर लग्न की है, जहां बुध नवम भाव में पाप ग्रहों सूर्य और केतु से पीड़ित है। वहीं चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल नीच का होकर युद्ध स्थान यानि सप्तम भाव में चंद्रमा को पीड़ित कर संपूर्ण रूप से कपट योग का निर्माण कर रहा है। इस योग के साथ रहस्य स्थान यानि अष्टम भाव में पड़ा शनि चीन को धोखे से छल-कपट में निपुण बनाता है। लेकिन इस पूरी कुंडली में एक खास बात ये भी है कि जहां चीन की कुंडली में राशि मकर होने से इसका स्वामी शनि हो गया है, वहीं शनि इसके लिए मारकेश भी है। साथ ही इस समय शनि ही कई व्यवस्थओं यो अव्यवस्थाओं को संचालित करता दिख रहा है।
ज्योतिषियों के अनुसार चीन 2019 से कपट योग में सम्मिल बुध की विंशोत्तरी दशा में चल रहा है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि इसी दशा में वह छल से कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। गोचर शनि और गुरू मकर राशि में स्थित हैं। 1962 में युद्ध के समय भी इन दोनों ग्रहों की यही स्थिति थी। उस समय चीन ने मंगल-शनि की दशा में भारत पर धोखे से हमला कर दिया था। चीन की कुंडली में चंद्रमा साढ़ेसाती से पीड़ित है और बुध कपट योग में फंसकर उसे स्वतः अपने विनाश की ओर ले जाता दिख रहा है।
भारत की कुंडली
आजाद भारत की वृषभ लग्न की कुंडली में चल रही चंद्रमा में शनि की दशा भारत के लिए शुभ नहीं है। अंतर्दशानाथ शनि चंद्रमा से सप्तम भाव का स्वामी होकर शत्रु राशि कर्क में छठे घर के स्वामी शुक्र के साथ युत है और इस समय भी 1962 की तरह मकर में गोचर कर रहे हैं। शनि और गुरू चंद्रमा से सप्तम भाव में होकर युद्ध का योग बना रहे हैं। वहीं 21 जून को पड़े सूर्यग्रहण ने कुंडली के ऐसे कुछ खास स्थानों को पीड़ित कर युद्ध और प्राकृतिक आपदााओं से जनधन की हानि का योग बनाया है। वहीं 5 जुलाई 2020 का चंद्र ग्रहण एक बार फिर तनाव में तेजी ला सकता है।
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि 1961-62 मे जब गुरू-शनि एक साथ मकर राशि में थे तो चीन से भारत का युद्ध हुआ था। मकर राशि भारत की कुंडली में नवम भाव की राशि है और नवम भाव से गुरू-शनि तीसरे भाव को पीड़ित कर युद्ध की स्थिति एक बार फिर से बन सकते हैं। ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि 2020 से 2022 के मध्य तक चीन और पाकिस्तान से सावधान रहना होगा। इधर पाकिस्तान भी कुछ हद तक उछलता हुआ दिखाई दे रहा है। ये तो साफ है कि यदि भारत-चीन युद्ध होता है तो पाकिस्तान भी भारत के विरूद्ध उतरेगा।
पाकिस्तान की कुंडली
जहां तक पाकिस्तान की कुंडली की बात करें तो पाकिस्तान की कुंडली के अनुसार उसकी राशि मिथुन है, जिसका राशि स्वामी बुध है। बुध को ज्योतिष में एक नपुंषक ग्रह भी माना जाता है, बुध के संबंध में अवधारणा है कि ये जिन ग्रहों की दृष्टि में रहता है वैसा ही व्यवहार करता है। जैसा कि पाकिस्तान भी जिन देशों की दृष्टि यानि जिनसे लाभ पाता है उनके समर्थन में रहता है और जैसे ही कोई दूसरा उसे प्रभावित करता है, तो उस नए देश के अनुसार व्यवहार करने लगता है। पाकिस्तान पर इसका सीधा उदाहरण पहले अमेरिका और अब चीन के सहयोग में होने को देखकर समझा जा सकता है।
युद्ध की गणित तो है, चाहे कुछ समय बाद हो
ज्योतिषियों के अनुसार वर्तमान में ग्रहों की दशाएं युद्ध की ओर इशारा तो कर रही हैं, लेकिन मुमकिन है ये कुछ दिन और देर से शुरू हो, युद्ध की स्थिति ग्रहों की दशाएं चीन और पाकिस्तान के एक साथ भारत से युद्ध की संभावनाओं को दर्शा रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत के ग्रह ये संकेत करते दिखाई दे रहे हंै, कि शुरूआत में भारत चीन की सीमाओं में घुकर अटैक करने की बजाय पहले पाकिस्तान को सबक सिखाएगा। इस दौरान चीन तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश के बावजूद कुछ जगह ही आगे बढ़ सकेगा, जबकि अधिकांश भारत-चीन सीमाओं पर भारत की जीत होगी, लेकिन चीन किसी तरह की चाल कपट से भारत की भूमि पर एक निश्चत स्थान पर आ सकता है। ऐसा नहीं है कि चीन सिर्फ हमें ही धमका रहा है। पड़ोसी जापान और वियतनाम से भी उसकी तू-तू, मैं-मैं होती रहती है। हिंद महासागर में वह अपना दखल बढ़ाने की कोशिश कर रहा है तो दक्षिण चीन सागर में उसे चुनौती मिल रही है। कई मोर्चों पर फंसा चीन ऐसे में भारत से युद्ध करेगा, ऐसा नहीं लगता। जो भी हो, पर यह तथ्य भी नहीं भूला जा सकता कि चीन अतिक्रमणकारी है। भारतीय भूमि पर उसकी ताजा गतिविधियां और युद्ध की धमकी एक बार फिर साबित कर रही है कि सामरिक रूप से भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा चीन ही है। उसकी धमकी से देश में बेचैनी का माहौल है।