एफएनएन, अमृतसर : शिरोमणि अकाली दल का गढ़ कहलाने वाले विधानसभा हलका मजीठा में शिअद में माझा के जरनैल कहलाने वाले बिक्रम सिंह मजीठिया को उनके गढ़ में ही विरोधी दल चुनौती दे रहे हैं।
मजीठा में 2007 से लगातार मजीठिया परिवार का कब्जा चला आ रहा है। विधानसभा चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी की आंधी के बावजूद यह हलका अकाली दल के खाते में ही गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की धर्मपत्नी गुनीव कौर मजीठिया यहां से विधायक हैं। इससे पहले 2007, 2012 व 2017 में खुद बिक्रम मजीठिया ने यहां से लगातार जीत दर्ज की।
2022 के बाद हलके में बने नए समीकरण
विधानसभा चुनाव 2022 के बाद हलके में नए समीकरण बने है। पिछले दो विधानसभा चुनाव लड़े सुखजिंदर राज सिंह लाली मजीठिया और जगविंदर सिंह जग्गा मजीठिया दोनों ही आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं।
इतना ही नहीं, वर्ष 1992 में आजाद विधायक रहे रणजीत सिंह भी भाजपा में जा चुके हैं। ऐसे में लगातार सेंधमारी कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट तो है ही, वहीं मजीठिया के खिलाफ सबकी लामबंदी भी चुनाव में उनके सामने चुनौती खड़ी करेगी।
मजीठा में 16 चुनावों में अब तक अकाली दल का पलड़ा रहा भारी
65 सालों में विधानसभा हलका मजीठा में हुए 16 चुनावों में अब तक अकाली दल का पलड़ा भारी रहा है। अकाली दल ने दस बार और कांग्रेस ने पांच बार यहां से जीत दर्ज की। एक बार आजाद उम्मीदवार विजयी रहा है।
2012 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल के मजीठिया को 73,944 वोट पड़े थे और उनकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार सुखजिंदर राज सिंह लाली मजीठिया को 26,363 वोट मिले थे। इसमें मजीठिया की जीत में मार्जिन 47,581 वोट रहा। हालांकि इसके बाद लगातार मजीठिया की जीत का मार्जिन घटता जा रहा है।
आप में गए गिल भी देंगे चुनौती
बिक्रम सिंह मजीठिया के खास रहे विधानसभा हलका दक्षिणी के इंचार्ज तलबीर सिंह गिल के आप में जाने से भी मजीठिया के लिए चुनौती बढ़ेगी। तलबीर मजीठा हलके में मजीठिया निजी सहायक के तौर पर काम करते रहे हैं। मजीठिया की गैरहाजिरी में सारा जिम्मा वे ही संभालते रहे हैं।
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ऐसे में गिल के आप में जाने के बाद विधानसभा हलका मजीठा और दक्षिणी में इसका प्रभाव क्या पड़ता है, इस पर भी सबकी निगाहें बनी हुई हैं। नए बने समीकरणों के बाद मजीठिया ने भी हलके में अपनी किलाबंदी बढ़ा दी है, ताकि इन सब चुनौतियों से पार पाया जा सके।






