लखीमपुर में सुरेश सौरभ के कहानी संग्रह भीगते सावन का हुआ विमोचन, कथाकारों ने अपनी कहानियों का वाचन भी किया
एफएनएन ब्यूरो, लखीमपुर खीरी। ‘भीगते सावन’ की कहानियों में जॉन कीट्स की कविताओं के रचनात्मक सौन्दर्य की झलक दिखती है। सिधौली के युवा कवि और कार्यक्रम संचालक देवेन्द्र कश्यप’ निडर’ ने लखीमपुर नगर पालिका सभागार में आयोजित सुरेश सौरभ के कहानी संग्रह ‘भीगते सावन’ के विमोचन समारोह में ये विचार व्यक्त किये।
समारोह के मुख्य अतिथि गोला गोकर्णनाथ के वरिष्ठ कवि डॉ. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने कहा, “सुरेश सौरभ की कहानियाँ भारतीय जनमानस की चेतना और चिंतन की गहरी संवेदना से जुड़ी हैं।” समीक्षा करते हुए कवि विनोद शर्मा ‘सागर’ ने कहा, “संग्रह की कहानियाँ मानवीय संवेदना एवं संचेतना का साक्षात्कार कराती हैं। सौरभ जी की समाज की परिस्थतियों पर गहरी पकड़ है।”
अध्यक्षता कर रहे सत्य प्रकाश ‘शिक्षक’ ने कहा, “भीगते सावन लोक संवेदनाओं का अनूठा दस्तावेज है। संग्रह की कहानियों में भारतीय जनमानस की जन चेतना को उकेरा गया है।” विशिष्ट अतिथि जोगिंदर सिंह चावला ने ‘भीगते सावन’ कथासंग्रह और सुरेश सौरभ के साहित्यिक अवदान की सराहना की। साथ ही हाल ही में दिवंगत भारत के प्रमुख उद्यमी रतन टाटा के शिक्षा और समाज सेवा में अमूल्य योगदान की चर्चा करते हुए उनकी आदमकद प्रतिमा लखीमपुर नगर में भी लगवाने पर भी जोर दिया। रमाकान्त चौधरी ने लघुकथा ‘गोश्त’ का वाचन किया।
सुरेश सौरभ ने ‘भीगते सावन’ कहानी संग्रह से अपनी चर्चित कहानी ‘एक था ठठेरा’ का वाचन किया। मंचासीन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों ने सुरेश सौरभ के कहानी संग्रह भीगते सावन’ का विमोचन किया। श्याम किशोर ‘बेचैन’, विकास सहाय, अनुराग पटेल, बेबी आराध्या, बेबी कृति ने काव्य पाठ किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. मृदुला शुक्ला ‘मृदु’ ने अपने कहानी संग्रह ‘संतू जाग गया’ की कहानी ‘चिकारा और प्रकाश’ का वाचन किया।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता गुलाब चंद, कहानीकार वेद प्रकाश, रामबाबू, राष्ट्र भाषा सेवा समिति के अभय अग्निहोत्री, कवि उमाकांत त्रिपाठी, हरे कृष्ण अवस्थी, धर्मेन्द्र कुमार, धीरेंद्र, नीरज श्रीवास्तव, रिषभ, शगुन आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक रमाकांत चौधरी ने सबका आभार व्यक्त किया।