एफएनएन, नई दिल्ली: अपने गठन के मात्र एक दशक में ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के लिए दिल्ली में लोकसभा चुनाव तीसरी बार भी निराशाजनक रहा है। सिद्धांतों को दरकिनार कर आइएनडीआइए में शामिल हुई आप को जीत की उम्मीद थी, लेकिन चारों आप प्रत्याशी पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए।
केजरीवाल ने अंतरिम जमानत मिलने पर किया प्रचार
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने पर प्रचार भी किया, लेकिन मतदाताओं को अपने पक्ष में नहीं कर सके। लोकसभा चुनाव के आगाज से पहले ही पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साह डगमगा रहा था। कांग्रेस से गठबंधन कर भी पार्टी जनमानस को यह विश्वास नहीं दिला पाई कि वह जीत दर्ज कर सकती है।
विधानसभा में हैं 61 विधायक और एमसीडी में सत्ता
आम आदमी पार्टी का दिल्ली नगर निगम पर कब्जा है और राज्य में भी पार्टी सत्ता में है। दिल्ली की 70 में से 61 सीटों पर विधायक होने के बावजूद ये विधायक पार्टी को संसदीय चुनाव में जीत दिलाने में कामयाब नहीं हो सके, जबकि चुनाव में तीन विधायकों और एक विधायक के पिता को टिकट दिया गया था।
दिल्ली सरकार के प्रति सत्ता विरोधी लहर से भी पार्टी को नुकसान पहुंचा। आप का संगठनात्मक ढांचा भी कई वार्डों के स्तर पर बेहद कमजोर हो गया है।
इस चुनाव में पटेल नगर से लेकर लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र में आप को संगठन को भंग तक करना पड़ गया था। अन्य वार्ड से लेकर लोकसभा स्तर तक के संगठन में रिक्त पदों तक को भरा नहीं जा सका, जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा।