
एफएनएन, किच्छा: व्यापार मंडल चुनाव में दिन प्रतिदिन नए मोड़ आ रहे है, सूत्रों की माने तो व्यापार मंडल जिला अध्यक्ष राजकुमार भुड्डी व्यापार मंडल चुनाव संचालन समिति के साथ पत्रकार वार्ता कर चुनाव तिथि की घोषणा के साथ-साथ मतदाता सूची को जारी कर सकते थे। परंतु देर शाम तक चुनाव की घोषणा को लेकर व्यापारियों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म रहा, इधर सूत्रों की माने तो व्यापार मंडल चुनाव को स्थगित कराने व चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष दस्तावेज पेश किए गए थे।
जिसके चलते संचालन समिति सहित जिला अध्यक्ष को जिला प्रशासन के समक्ष उपस्थित होना पड़ा। सूत्रों की माने तो जिला अध्यक्ष मामले में अपना पक्ष मजबूती के साथ नहीं रख पाए जिसके चलते चुनाव संचालन समिति सहित जिला अध्यक्ष को कुछ दिनों के लिए प्रक्रिया पर विराम लगाना पड़ा। बरहाल मामले को लेकर कौन सही कौन गलत इस बात पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। फिलहाल व्यापारियों के बीच चुनाव की घोषणा न होने के चलते राजनीतिक सरगर्मियां निश्चित रूप से तेज हो गई है।
ऐसे में देखना होगा कि चुनाव संचालन समिति व जिला अध्यक्ष व्यापार मंडल का चुनाव संपन्न कराने में कामयाब होते हैं या फिर तीन व्यापारी जिला कमेटी पर भारी पड़ सकते है।
किच्छा: चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने हेतु अभी सूची पूर्ण रूपेण तैयार नहीं हुई है जिसमें लगभग तीन दिवस का समय अतिरिक्त संचालन समिति द्वारा मांगा गया है सूची पूर्ण होते ही अगली प्रक्रिया की ओर बढ़ा जाएगा।राजकुमार भुड्डी, जिलाध्यक्ष प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल
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और फिर नही हुई चुनाव की घोषणा, सूची पर फोड़ गए ठीकरा
किच्छा: चुनाव संचालन समिति द्वारा मतदाता सूची पूरी होने के बावजूद जिला अध्यक्ष राजकुमार भुड्डी संचालन समिति के नाम ठीकरा फोड़ गए ऐसा हम नहीं स्थानीय लोगो के द्वारा कहा जा रहा है, चर्चाओं की माने तो चुनाव संचालन समिति द्वारा मतदाता सूची को पूरा कर लिया गया परंतु चुनाव प्रक्रिया पर आरोप लगा रहे ने वर्तमान पदाधिकारी द्वारा जिला प्रशासन के समक्ष संचालन समिति को घेर चुनाव प्रक्रिया में को रुकवा दिया गया, जबकि व्यापार मंडल जिला अध्यक्ष संचालन समिति की सूची पूरी न होने का हवाला दे, मामले से पल्ला झाड़ गए अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या संचालन समिति व व्यापार मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी पर ने वर्तमान पदाधिकारी भारी पड़ गए फिलहाल ऐसे अनेक सवाल समय के गर्भ में छुपे हुए हैं।