एफएमएम, कानपुर: आठ पुलिसकर्मियों समेत न जाने कितने निर्दोषों को मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे का अंत काफी बुरा हुआ। शुक्रवार सुबह उसका मारा जाना बड़े सवाल छोड़ गया। सफेदपोशों से उसकी नज़दीकियों का खुलासा नहीं हो सका, वही इस दुर्दांत चेहरे के पीछे के राज भी दफन हो गए । ये बात दीगर है कि योगी सरकार ने फिर संदेश दिया है कि बदमाशी और गुंडागर्दी तो उत्तर प्रदेश में कतई नहीं चलेगी।
आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी
आपको बता दें कि गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के बाहर विकास दुबे ने आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश व एटीएफ की टीम उसे लेकर कानपुर आ रही थी। इस बीच आज सुबह करीब 6 बजे उसकी गाड़ी हादसे का शिकार हो पलट गई। यह हादसा कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर दूर हुआ था। बताया जा रहा है कि जब गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई, उस समय विकास दुबे हथियार छीनकर भाग निकला। पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया। लेकिन उसने पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की। जिसमें एसटीएफ के दो जवान घायल हो गए। इस मुठभेड़ में विकास दुबे गंभीर रूप से घायल हो गया था। घायल विकास दुबे को तुरंत इलाज के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज का दौरान 5 लाख के इनामी विकास दुबे की मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने उसकी मौत की पुष्टि दी।
विकास दुबे के साथ सफेदपोशाें की कहानियां भी दफन
माना जा रहा था कि विकास दुबे के पकड़े जाने से कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। क्योंकि विकास के संबंध राजनेताओं और पुलिस के लोगों से भी था। लेकिन मुठभेड़ में उसके मारे जाने से अब कैसे होंगे ये खुलासे। कानपुर कांड से लेकर उसके सियासी लिंक और पुलिस से नेक्सस पर भी खुलासे हो सकते थे। लेकिन अब ये मुश्किल होगा।
सभी राजनीतिक दलों के साथ थे कनेक्शन
विकास दुबे 25 साल से प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ रहा था। 15 साल बसपा के, 5 साल बीजेपी के साथ और 5 साल सपा के साथ रहा था। पंचायत चुनाव के दौरान उसे बसपा से समर्थन मिला, जबकि उसकी पत्नी को सपा का समर्थन मिला था। बसपा सरकार के दौरान ही विकास दुबे ने बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में अपना रसूख कायम किया था। इस दौरान शातिर अपराधी विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे भी किए। जेल में बंद रहते हुए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचयात चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
विकास दुबे के राजनीतिक गुरु
मोस्टवांटेड विकास दुबे का 2006 का वीडियो सामने आया है। वीडियो में विकास दुबे कहता है कि उसे सियासत में लाने का श्रेय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिकिशन श्रीवास्तव का है और वही मेरे राजनीतिक गुरु हैं। विकास दुबे वीडियो में कहता है, ‘मैं अपराधी नहीं हूं, मेरी जंग राजनीतिक वर्चस्व की जंग है और ये मरते दम तक जारी रहेगी।’
हरिकिशन श्रीवास्तव कानपुर के चौबेपुर विधानसभा सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। वह बसपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं. हालांकि, वे पहली बार विधायक जनता पार्टी से बने और बाद में जनता दल और फिर बसपा का दामन थामा. हरिकिशन श्रीवास्तव दिग्गज नेता माने जाते थे और विकास दुबे उनके करीबी समर्थकों में से एक था।
1996 में कानपुर की चौबेपुर विधानसभा सीट से हरिकिशन श्रीवास्तव बसपा से चुनाव लड़े। उनके खिलाफ बीजेपी से तत्कालीन जिला अध्यक्ष संतोष शुक्ला खड़े हुए थे। इस चुनाव में हरिकिशन ने जीत दर्ज की। हालांकि राजनाथ सिंह साल 2000 में जब यूपी के सीएम बने तो उन्होंने संतोष शुक्ला को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बनाया, लेकिन सियासी रंजिश में 11 नवंबर 2001 को कानपुर के थाना शिवली के अंदर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। संतोष शुक्ला की हत्या में विकास दुबे का नाम आया था, लेकिन वो कोर्ट से बरी हो गया।
विकास दुबे का बीजेपी कनेक्शन
गैंगस्टर विकास दुबे का साल 2017 का वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में 2017 में हुई एक हत्या के संबंध में एसटीएफ द्वारा उससे पूछताछ की जा रही रही है. इसमें विकास दुबे ने बताया कि कैसे एक हत्या में उसका नाम कथित रूप से डाला गया था, जिसे निकलवाने में कुछ नेता उसकी मदद कर रहे थे। इस वीडियो में विकास दुबे ने बिल्हौर से बीजेपी विधायक भगवती प्रसाद सागर और बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा के नाम का जिक्र किया। इसके अलावा विकास ने ब्लॉक प्रमुख राजेश कमल, जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डन कटियार के नाम भी लिए थे। विकास ने कहा कि इन नेताओं से उसके राजनीतिक संबंध हैं।