एफएनएन, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को याचिकाकर्ताओं द्वारा अक्टूबर 2023 के अपने फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति देने के अनुरोध पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें समलैंगिक जोड़ों के विवाह करने या नागरिक संघ बनाने के अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था.
शीर्ष अदालत के अक्टूबर 2023 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली कई याचिकाएं बुधवार को चैंबर में सूचीबद्ध हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी और एन के कौल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ से खुली अदालत में समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई करने का अनुरोध किया.
सिंघवी ने कहा कि अदालत इस बात पर विचार कर सकती है कि जनहित में यह सुनवाई खुली अदालत में हो सकती है. ‘कृपया इसे खुली अदालत में रखें.’ एक अन्य वरिष्ठ वकील ने याचिकाओं के बारे में दलीलें पेश करने का प्रयास किया. सीजेआई ने कहा कि ‘क्या आप अब पुनर्विचार याचिका पर बहस कर रहे हैं? पुनर्विचार चैंबर में होता है.’
सिंघवी ने कहा कि हम केवल न्यायालय से अनुरोध कर रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा किए गए अनुरोध से सीजेआई आश्चर्यचकित दिखे. सीजेआई ने संकेत दिया कि पुनर्विचार याचिकाओं पर आमतौर पर चैंबर में विचार किया जाता है. उन्होंने कहा कि ‘संविधान पीठ पुनर्विचार करती है.’
पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की जाए या नहीं, इसका फैसला भी न्यायाधीशों द्वारा वकीलों के बिना चैंबर में किया जाता है. समीक्षा याचिकाओं पर एक नई पीठ द्वारा विचार किया जाएगा, क्योंकि पिछले वर्ष अक्टूबर में निर्णय देने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ के दो न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना सेवानिवृत्त सदस्यों की जगह लेंगे. अन्य न्यायाधीशों में सीजेआई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं.