एफएनएन, नई दिल्ली : पितृ पक्ष 1 सितंबर से शुरू हो रहे हैं, जो 17 सिंतबर को समाप्त होंगे। माना जाता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है। श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं। वे प्रसन्न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है। पूर्वजों के प्रति आभार और आस्था प्रकट करने पर्व ही श्राद्ध कहलाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज धरती पर आते हैं। पूर्वज जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितरों को मिलती है मुक्ति
पितरों का विधि पूर्वक तर्पण या श्राद्ध करना चाहिए। विधि पूर्वक तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती। श्राद्ध करने के बाद ही पितरों को मुक्ति मिलती है। श्राद्ध कर्म न करने से पितरों की आत्मा मुत्युलोक में भटकती रहती है।
पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
पितृ दोष जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में होता है उसका जीवन संकटों से भर जाता है। धन हानि, रोग, कलह और तनाव से व्यक्ति बुरी तरह से परेशान हो जाता है। यहां तक की मान सम्मान में भी कमी आती है। इसलिए पितृ पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है।
पितृ पक्ष कब से आरंभ
पितृपक्ष की शुरुआत 1 सितंबर से हो रही है। पंचांग के अनुसार इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 09 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। इस दिन पहला श्राद्ध होगा। इस दिन होने वाले श्राद्ध को पूर्णिमा श्राद्ध कहा जाता है। अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा।