Thursday, September 19, 2024
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यूपी से उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान तक फैला है शेर अली जाफरी का नकली डिग्रियां बांटने का मकड़जाल

चारों राज्यों में जाफरी के 11 कॉलेज वर्षों से बांट रहे हैं फर्जी डिग्री-डिग्रियां, आंवला का संस्थान भी जांच की जद में

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। शेर अली जाफरी का फर्जी डिग्रियां बांटने का काला धंधा सिर्फ बरेली के सीबीगंज तक ही सीमित नहीं है, बल्कि फर्जीवाड़े का उसका मकड़जाल यूपी समेत चार राज्यों में फैला हुआ है। बरेली मंडल के चारों जिलों समेत चार राज्यों में उसके 11 कॉलेज वर्षों से फर्जी डिग्रियां बांट रहे हैं। यूपी के अलावा जाफरी ने उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान में भी अपने शिक्षण संस्थान खोल रखे हैं। इनमें से अधिकतर नकल के लिए भी बदनाम हैं।

अमीर खुसरो को आदर्श बताकर जाफरी भावनात्मक रूप से लोगों को अपने साथ जोड़ता था। जहां भी कॉलेज बनाता, उसका नाम प्रसिद्ध सूफी शायर अमीर खुसरो के नाम पर ही रखता था। भरोसेमंद करीबियों को अपने कॉलेज का प्राचार्य बनाता था और स्थानीय लोगों को बतौर शिक्षक इन कालेजों में नौकरी पर रखता था।

यही स्थानीय शिक्षक कमीशन पर छात्रों का एडमिशन कराते थे। इन कॉलेजों में नकल के साथ ही प्रैक्टिकल में भी खेल किया जाता था। अच्छे नंबर दिलाने के नाम पर वसूली होती थी। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में ऊपर तक अच्छी सेटिंग होने की वजह से जाफरी के कॉलेजों को आसानी से संबद्धता भी मिलती रही। एसआईटी जांच में उसके गुर्गों पर भी शिकंजा कसना तय है।

आंवला के संस्थान में भी लिए डी.फार्मा के एडमिशन
जाफरी के खुसरो ट्रस्ट की ओर से आंवला के इस्माइलपुर में न्यू खुसरो फार्मेसी इंस्टीट्यूट खोला गया। वहां भी डी.फार्मा के एडमिशन लिए गए। वहां कितने छात्रों ने एडमिशन लिया और कितने छात्र वहां डीफार्मा का कोर्स कर रहे थे, यह तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा? जाफरी के आंवला के संस्थान से जुड़े लोग भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

यूपीएससी और नीट की तैयारी भी कराता था
इंग्लिश से एमए पास शेर अली जाफरी छात्रों को यूपीएससी और नीट की तैयारी कराता था। खुसरो अस्पताल के नीचे उसने केएम क्लासेस नाम से कोचिंग भी खोली थी। जाफरी कोचिंग में खुद भी क्लास लेता था। इस कोचिंग के अधिकतर छात्र उसके ही काॅलेज के हैं। अब कोचिंग की भी जांच शुरू हो गई है।

खुद मुन्नाभाई, दूसरों को बांटता था डिग्रियां
दूसरों को डिग्रियां बांटने वाला 25 हजार का इनामी डॉ. विजय शर्मा खुद मुन्नाभाई है। वह आस्था कंसल्टेंसी के अलावा एचएल कंसल्टेंसी भी चलाता था। इसके जरिये वह बीएड, बीएलएड, बीटीसी और बीपीएड की मान्यता दिलवाने का झांसा देता था। जाफरी के संपर्क में आने के बाद दोनों ने कम समय में करोड़ों रुपये कमाने के लिए सैकड़ों छात्रों को फर्जी मार्कशीट थमा दी।

मामला पकड़ में आने के बाद दोनों एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने लगे। छात्रों को रुपये लौटाने का वादा किया था, लेकिन करोड़ों रुपये उड़ाए और निवेश किए जा चुके थे, इसलिए ऐसा नहीं हो सका। जाफरी ने पुलिस को भी साधकर बच निकलने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सका।

एसपी दक्षिणी मानुष पारीक ने बताया कि एसआईटी जाफरी व विजय शर्मा से जुड़े सभी संस्थानों व संबंधित आरोपियों की जांच कर रही है। अपराध की स्थिति और साक्ष्यों के मुताबिक चार्जशीट लगाई जाएगी। विजय शर्मा पर इनाम घोषित किया गया है। उसके गिरफ्तार नहीं होने पर कोर्ट खुलते ही गैर जमानती वारंट के लिए आवेदन किया जाएगा।

डॉ. अतुल का पता और मोबाइल नंबर भी निकला फर्जी
मानकों को दरकिनार कर संचालित एचए खुसरो अस्पताल फर्जीवाड़ा की नींव पर खड़ा था। दस्तावेजों की जांच में इसकी पोल खुल रही है। जिस डॉ. अतुल को अस्पताल का संचालक दिखाया है, उसका पता, मोबाइल नंबर फर्जी है। अब अस्पताल का पंजीकरण निरस्त होगा। शेर अली जाफरी के परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है, लिहाजा डॉ. अतुल कुमार के नाम पर पंजीकरण कराया। मगर, डॉ. अतुल कौन है, यह स्पष्ट नहीं हो सका। डॉ. लईक के मुताबिक जांच में संबंधित चिकित्सक का मोबाइल नंबर, पता गलत है। अस्पताल के पैनल में दर्ज डॉक्टरों को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है। ऐसे में अब अस्पताल का पंजीकरण निरस्त किए जाने की कवायद शुरू की गई है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डिप्टी सीएमओ डॉ. लईक अहमद अंसारी के नेतृत्व में तीन दिन पहले अस्पताल का निरीक्षण किया था तो वहां ताला लगा मिला था। उसी ताले पर सील की मुहर लगाकर नोटिस चस्पा कर दिया गया था। इसके बाद पंजीकरण की फाइल खंगाली गई।

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