एफएनएन, चंपावत : भारत और नेपाल को जोड़ने वाले बनबसा बैराज पुल की मरम्मत का कार्य 15 जनवरी से शुरू हो जाएगा। ट्रीटमेंट में 60 लाख रुपये खर्च होंगे। इस दौरान भारत और नेपाल के वाहन शारदा नदी से होकर जाएंगे। उत्तर प्रदेश (उप्र) सिंचाई विभाग ने इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर ली है।
वर्तमान में यह पुल 95 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है। 500 मीटर से कुछ अधिक लंबा बैराज पुल अभी तक जस का तस है। इस पुल के कुछ अंदरूनी हिस्से और फर्श पर वर्ष 2013 की आपदा और वर्ष 2021 में आई बाढ़ के कारण दरारें आ गई थीं। गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे के बाद देश के अन्य पुराने पुलों की तरह इस पुल की जांच भी आइआइटी रुड़की और दिल्ली की टीम ने की थी।
सिंचाई विभाग करा रहा है ट्रीटमेंट
जांच रिपोर्ट के आधार पर अब उप्र सिंचाई विभाग पुल को सुरक्षित रखने के लिए इसका ट्रीटमेंट करा रहा है। हालांकि वर्ष 1996 में भारत सरकार की तकनीकी टीम ने शारदा बैराज से करीब 100 मीटर दूर डाउन स्ट्रीम में नया बैराज बनाने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा था। वर्ष 1990 से बैराज पर 10 टन भार क्षमता वजन के परिवहन पर रोक है।
11 हजार क्यूसेक है शारदा नहर की क्षमता
बैराज से निकली शारदा नहर की अधिकतम क्षमता करीब 11 हजार क्यूसेक है, जिससे उप्र के बड़े भूभाग की सिंचाई होती है। वहीं नहर के पानी से ही उत्तराखंड के खटीमा लोहियाहेड स्थित जलविद्युत निगम के 39 मेगावाट क्षमता के पावर हाउस का भी संचालन होता है। शारदा हेडवर्क्स के एसडीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि बैराज के अप और डाउनस्ट्रीम के फर्श पर पड़ी दरारों, क्षतिग्रस्त ब्लाकों और अन्य हिस्सों की मरम्मत की जानी है।
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शारदा बैराज की जनघनत्व क्षमता छह लाख क्यूसेक है। बैराज का अधिकतम जलस्तर 21 अगस्त 1934 को पांच लाख 22 हजार, 18 जून 2013 को पांच लाख 44 हजार क्यूसेक एवं 19 अक्टूबर 2019 को सर्वाधिक पांच लाख 47 हजार क्यूसेक पहुंच चुका है। शारदा में एक लाख क्यूसेक पानी प्रवाहित होते ही सुरक्षा के तहत बैराज से वाहनों का आवागमन रोक दिया जाता है।