22 वर्षों से संस्था के मंत्री की हैसियत से थे कार्यरत, पिछले सप्ताह हृदयाघात से हुआ था अचानक देहावसान
फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली। साहित्यिक संस्था ‘शब्दांगन‘ की शोकसभा में संस्था के मंत्री पद पर पिछले 22 वर्षों से निरंतर कार्यरत वरिष्ठ साहित्यकार एके सिंह "तन्हा" के बीते दिनों आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

65 वर्षीय श्री ‘तन्हा’ भरे-पूरे परिवार को अपने पीछे छोड़ गए हैं। ‘तन्हा’ का पूरा नाम अश्विनी कुमार सिंह था। साहित्य की सेवा करने के कारण वे अपना उपनाम ‘तन्हा‘ लिखते थे। पत्रकार के रूप में भी वर्षों तक सक्रिय रहे। पिछले सप्ताह अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। अस्पताल में डॉक्टरों के अनथक प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
‘शब्दांगन‘ संस्था के बिहारीपुर खत्रियान स्थित सभागार में आयोजित शोकसभा में कवियों ने दिवंगत श्री ‘तन्हा’ को भरे हृदय से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कई साहित्यकारों ने उनसे जुड़े प्रेरणाप्रद संस्मरण सुनाकर सबको भावविह्वल कर दिया। शब्दांगन के महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी ने एके सिंह "तन्हा" को याद करते हुए उन्हीं की एक यादगार ग़ज़ल की इन पंक्तियों से श्रद्धांजलि अर्पित की-
” मुहब्बत में तकलीफ ही सरबसर है।
कभी दर्दे दिल तो कभी दर्दे सर है।।
जुनूं से मिली मुझे दुनिया से फुर्सत,
न मुझे अपनी खबर न उनकी खबर है।। “
‘शब्दांगन’ के उपाध्यक्ष रामकुमार अफरोज़ ने ‘तन्हा’ को दोस्तों का दोस्त बताते हुए कहा कि “तन्हा” अक्सर कहा करते थे कि हौंसला और रुतबा बनाकर रखो क्योंकि अच्छे और बुरे दिन तो आते-जाते रहते हैं। शब्दांगन के अध्यक्ष डॉ. सुरेश रस्तोगी ने कहा कि एके सिंह “तन्हा” से हम लोग अक्सर यह सवाल करते थे कि वो अपने नाम के आगे तन्हा क्यों लिखते हैं, जबकि वो तो हमेशा मित्र मंडली से घिरे रहते हैं लेकिन वो मुस्कुराकर बात टाल देते थे।
कवि राम प्रकाश सिंह “ओज” ने तन्हा को सरल ह्रदय साहित्यकार बताते हुए कहा कि दो वर्ष पूर्व उन्हें शब्दांगन संस्था द्वारा “पांचाल शिरोमणि” सम्मान से अलंकृत किया गया था।
साहित्यकार ए के सिंह “तन्हा” के निधन पर शोक श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में डाॅ. सुरेश रस्तोगी, इंद्रदेव त्रिवेदी, रामकुमार ‘अफरोज़’, राम प्रकाश सिंह ‘ओज’, डाॅ. अवनीश यादव, मानवेंद्र सिंह, लाल बहादुर गंगवार, डाॅ. अनिल चौबे, मुकेश सक्सेना, सुरेंद्र बीनू सिन्हा, विशाल शर्मा, मेधावृत शास्त्री प्रमुख रहे।





