- श्रम कल्याण परिषद की बुधवार की बैठक में लग सकती है फैसले पर मुहर
एफएनएन, लखनऊ/मेरठ। अगर उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद की 18 नवंबर बुधवार को राजधानी में प्रस्तावित महत्त्वपूर्ण बैठक में फैसले पर मुहर लग गई तो अधिकतम 20 के बजाय 5 श्रमिकों वाले प्रतिष्ठान- कारखाने भी सरकारी योजनाओं के दायरे में आ सकेंगे। फिलहाल इन योजनाओं के दायरे में 20 या इससे अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठान -कारखाने ही सम्मिलित हैं। श्रम कल्याण परिषद की इस संभावित सराहनीय पहल से अपेक्षाकृत काफी ज्यादा श्रमिकों को राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
उप्र श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष पंडित सुनील भराला ने यह बात कही है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश मेंअभी तक केवल 25 हजार श्रमिकों को ही इन सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। यदि किसी प्रतिष्ठान-कारखाने में श्रमिकों की संख्या 19 भी हो तो मौजूदा नियमों के मुताबिक उन प्रतिष्ठानों-कारखानों में मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकता है। अब अधिकतम पांच श्रमिकों की संख्या तय होने पर अधिक श्रमिक लाभांवित होंगे। उन्होंने बताया कि आज मंडल स्तर पर श्रम कल्याण की योजनाओं की समीक्षा होने लगी है। श्रमिकों को उनके अधिकार मिलने लगे हैं। योगी सरकार की श्रमिक कल्याणकारी नीतियों का ही परिणाम है कि कोरोना काल में भी 280 करोड़ रुपये श्रमिकों के खातों में आए हैं। लेकिन परिषद के इस फैसले के दूरगामी नतीजे बहुत जल्द देखने को मिलेंगे। अगले साल एक लाख और फिर दस लाख श्रमिकों को इन सभी सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा।
अब इन सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होंगे ज्यादा श्रमिक
ज्योतिबा फुले श्रमिक कन्यादान योजना
– राजा हरीशचंद्र मृतक श्रमिक आर्थिक सहायता योजना
– डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम श्रमिक प्राविधिक सहायता योजना
– दत्तोपंत ठेंगड़ी मृतक श्रमिक अंत्येष्टि सहायता योजना
– गणेश शंकर विद्यार्थी श्रमिक पुरस्कार योजना