एफएनएन, दिल्ली : 75 करोड़ की कथित मुनाफाखोरी के लिए पतंजलि आयुर्वेद पर शुरू की गई दंड प्रक्रिया पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। बता दें कि पतंजलि ने गुजरी 12 मार्च के राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण (एनएए) के आदेश को चुनौती दी है। आदेश में एनएए ने कहा था कि पतंजलि ने ग्राहकों को नवंबर 2017 से मार्च 2019 के बीच जीएसटी में कटौती का लाभ नहीं दिया।
तथ्यों को अनदेखा किया गया : पतंजलि
पतंजलि की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमन सिन्हा ने कहा कि कंपनी विभिन्न तरीकों से उपभोक्ताओं को कर कटौती में लाभ देती है। जिसमें कैशबैक योजनाएं, द्वितीयक और खुदरा योजनाओं के माध्यम से छूट शामिल है। इन तथ्यों को देखे बिना एनएए ने माना कि 75.08 करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी की गई है और निर्देश दिया कि इसे उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा किया जाए। हाइकोर्ट की पीठ ने जुर्माने पर रोक लगाते हुए केंद्र, एनएए और महानिदेशक एंटी प्रोफिटेयङ्क्षरग (डीजीएपी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी। वहीं पतंजलि ने केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 171 की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है।