Thursday, June 26, 2025
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशसंस्कारित-निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही चुनकर भेजें तभी भ्रष्टाचार मुक्त होगा सहकारिता आंदोलन

संस्कारित-निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही चुनकर भेजें तभी भ्रष्टाचार मुक्त होगा सहकारिता आंदोलन

सहकार भारती के 47वें स्थापना दिवस समारोह में बरेली के केशव कृपा भवन में मुख्य वक्ता की हैसियत से राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र स्वरूप वर्मा का प्रेरणादायी उद्बोधन, मुख्य अतिथि सांसद छत्रपाल सिंह ने भी बताईं व्यावहारिक बातें

फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली। सहकार भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष देवेंद्र स्वरूप वर्मा ने कहा, “भारत को समृद्ध, स्वावलंबी, पूर्ण विकसित और विश्व गुरु बनाने का एकमात्र उपाय सहकारिता ही है। गांव से कस्बे, शहर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर संस्कारित-निष्ठावान कार्यकर्ताओं की समर्पित टीम ही सहकारिता आंदोलन को भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकालकर देश के तीव्र बहुमुखी विकास का पथ प्रशस्त कर सकती है।”

श्री वर्मा 11 जनवरी शनिवार को बरेली के केशव कृपा भवन के खचाखच भरे सभागार में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख घटक सहकार भारती के 47वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य वक्ता और विशिष्ट अतिथि की हैसियत से प्रेरणादायी उद्बोधन कर रहे थे।

अपने विद्वत्तापूर्ण-सारगर्भित उद्बोधन में मुख्य वक्ता श्री वर्मा ने सभागार में मौजूद सहकारिता से जुड़े सैकड़ों निष्ठावान कार्यकर्ताओं को समझाया कि यह सही है कि राजनीति में सक्रिय बहुत से भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों-कर्मचारियों की वजह से दशकों तक किसानों-मजदूरों की आत्मनिर्भरता का पर्याय रहीं सहकारी समितियां और सहकारी बैंकें बाद में भ्रष्टाचार के दुष्चक्र में फंसकर डूबती ही चली गईं और करोड़ों गरीब किसानों-मजदूरों की छोटी-छोटी पूंजी भी भ्रष्टाचार की ज्वाला में जलकर स्वाहा हो गई लेकिन सच यह भी है कि आजादी से पहले और बाद में भी कई दशकों तक सहकारिता आंदोलन गरीब किसान-मजदूर को महाजनों-साहूकारों के खूनी पंजों से निकालकर गांव-किसान को आत्मनिर्भर बनाने की धुरी की भूमिका भी निभाता रहा है।

हालांकि केंद्र में भाजपा सरकार के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही सहकार भारती के रूप में आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व ने वर्ष 1979 में यशवंत सिंह नीलांगार और लक्षमण राव इनामदार के जरिए सहकार भारती का जो छोटा सा पौधा रोपा था, आज वह विशाल वटवृक्ष बन चुका है। उसी की बदौलत आज केंद्र में अलग सहकारिता मंत्रालय अस्तित्व में है और अमित शाह जैसा धुरंधर राजनेता उसकी कमान संभाल रहा है। लाखों साधन सहकारी समितियां, 7500 पैक्स और 48 उपभोक्ता भंडार सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही संचालित हैं। गांव-गांव में अन्न भंडारण गोदाम बनाए जा रहे हैं।

देश भर में 80 करोड़ से भी ज्यादा सदस्य सहकारिता आंदोलन से परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं जबकि 29 करोड़ से भी ज्यादा सक्रिय सदस्य हैंं। बरेली की अरबन कोआरेटिव बैंक समेत प्रदेश की कई बैंकें और सहकारी समितियां बहुत बेहतर काम कर रही हैं तो बहुत सी में सुधार की बहुत गुंजाइश है। सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद पहली बार व्यावहारिक धरातल पर नियम-कायदे और तर्कसंगत ढांचा बनाया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारिता आंदोलन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए संस्कारित-निष्ठावान पदाधिकारियों का चुनकर आना अनिवार्य शर्त है।

बरेली के भाजपा सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने मुख्य अतिथि की हैसियत से समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बरेली के धौंरा टांडा, अटामांडा में 100-100 से ज्यादा राइस मिलें और शीशगढ़-मीरगंज क्षेत्र में इतने ही ईंट भट्ठे भी आपसी सहकारिता से ही वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहे हैं। कहा-प्रधानमंत्री मोदी को तराशकर पहले सहकारिता और फिर राजनीति में लाने का श्रेय भी सहकार भारती के संस्थापक लक्ष्मणराव इनामदार को ही जाता है। कहा-गरीब की छोटी-छोटी पूंजी को जोड़कर सहकारी समितियां विकसित की गईं। हालांकि बाद में ज्यादातर भ्रष्टाचार में डूबती चली गईं और गरीब की जमा पूंजी भी नष्ट हो गई। यही सहकारिता के प्रति समाज की अश्रद्धा और अविश्वास की वजह बनी। बहुत से राजनेताओं ने सहकारिता में भ्र्ष्टाचार के खूब पनपाया। उनमें से कुछ को तो मैं खुद भी जानता हूं। सांसद ने कहा कि देश के करोड़ों बेरोजगार युवाओं में कौशल विकास कर उन्हें हुनरमंद और आत्मनिर्भर बनाने का एकमात्र माध्यम सहकारिता ही है। इसे स्कूल-कालेजों, तकनीकी संस्थानों और आईटीआई, जीटीआई तक विस्तृत किया जाना चाहिए।

सहकार भारती मत्स्य प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक अभिनव कश्यप ने भी विशिष्ट अतिथि की हैसियत से प्रेरणादायी विचार रखे। कहा- केंद्र में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सहकारी समितियों के प्रति आम किसान-मजदूर का विश्वास फिर जागा है। पिछले 70 वर्षों में सहकारिता की क्षमता को आंकने का ईमानदार प्रयास हुआ ही नहीं है। अब केंद्र सरकार गांव की सहकारी समितियों को जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर जोड़कर उन्हें मजबूती दे रही है।

आरएसएस विभाग प्रचारक कृष्ण कुमार, पूर्व विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप़्पू भरतौल, सहकार भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष देवस्वरूप वर्मा, विशिष्ट अतिथि/विभाग संयोजक दिग्विजय सिंह, संगठन मंत्री तुलाराम कश्यप, महानगर अध्यक्ष धारा सिंह, महामंत्री उपेंद्र सिंह सिरोही, कोषाध्यक्ष रविंद्र कुमार, पूर्व ब्लाक प्रमुख बहेड़ी चौधरी आराम सिंह, चौधरी धर्म पाल सिंह, फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक प्रमुख सत्येंद्र सिंह, पूर्व प्रमुख मीरगंज राजीव गु्प्ता, जिला उपाध्यक्ष गजेंद्र पटेल, रामचंद्र राजपूत, सीताराम कश्यप, विजय राजपूत, संजय सिंह आदि ने भी उपयोगी विचार व्यक्त किए। पूरे समारोह का सफल संचालन किसान नेता राकेश गंगवार ने किया।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे सहकार भारती के जिलाध्यक्ष चौधरी छत्रपाल सिंह ने अपने संक्षिप्त अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि लगभग 36 साल तक लगातार बरेली जिले और मीरगंज-फतेहगंज पश्चिमी, शेरगढ़ विकास क्षेत्र के 300 से भी ज्यादा गांवों में सहकारिता आंदोलन और गन्ना विकास की भ्रष्टाचारमुक्त-पारदर्शी राजनीति की है। कोशिश सदैव यही रही है कि सहकारी समितियों, गन्ना विकास और जिला सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली को भ्रष्टाचार मुक्त और गरीब-किसानोन्मुखी रखा जाए। निजी अनुभव यह रहा कि पूर्वांचल मूल के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों-चंद कर्मचारियों और कुछ स्थानीय भ्रष्ट नेताओं का सहकारी समितियों और जिला सहकारी बैंक को डुबोने में बड़ा रोल रहा है। मैंने अपनी पूरी क्षमता और नेकनीयत से गन्ना माफियाओं और बिचौलिया-दलाल तत्वों का हमेशा ही पूरी ताकत से विरोध किया है। यही वजह गै कि बहुत से क्षेत्रीय किसान प्यार से मुझे सहकारिता और गन्ना की इलाकाई और जिले की राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ भी अक्सर कहकर बुलाते हैं। उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराकर सहकार भारती के स्थापना दिवस समारोह को सफल बनाने के लिए सभी का हृदय से आभार भी व्यक्त किया। चौधरी हरवीर सिंह, भीमसेन तुरैहा, बाबूराम तुरैहा, राम किशोर गंगवार, एमआर यदुवंशी, चौधरी रवींद्र सिंह समेत ढाई सौ से ज्यादा सहकारिता से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता मौजूद रहे। सामूहिक खिचड़ी सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इससे पहले विशिष्ट और मुख्य अतिथि की माल्यार्पण कर भावभीनी अगवानी की गई और सहकार भारती की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

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