Friday, September 20, 2024
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Homeराज्यउत्तर प्रदेशएक आईएएस और तीन पीसीएस अफसर भी जांच के दायरे में

एक आईएएस और तीन पीसीएस अफसर भी जांच के दायरे में

बरेली-सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण घोटाला

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। बरेली-सितारगंज फोरलेन भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच की आंच यहां तैनात रहे एक आईएएस और तीन पीसीएस अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है।

बरेली-सितारगंज हाईवे का चौड़ीकरण मंजूर होने के बाद एक आईएएस अधिकारी तो यहां जमीन खरीदकर मुआवजा भी हासिल कर चुके हैं। वहीं, भू उपयोग परिवर्तित करने के खेल में तीन पीसीएस अधिकारियों ने भी खूब चांदी काटी थी। अब इन चारों अधिकारियों ने अपनी गरदनें फंसते देख बचाव के रास्ते भी तलाशने शुरू कर दिए हैं। हालांकि शासन की करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के चलते इन चारों पर भी बड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है। जांच टीम इस छानबीन में भी जुटी है कि किस पीसीएस अधिकारी के कार्यकाल में भू उपयोग परिवर्तित कर घोटाले की नींव रखी गई?

भू उपयोग परिवर्तन में लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार के हस्ताक्षर के बाद एसडीएम अंतिम निर्णय लेते हैं। इसमें ही भ्रष्टाचार का बड़ा खेल होने का अंदेसा है। इस तथ्य पर जांच टीम की पैनी नज़र है। टीम एक-एक मामले को बहुत बारीकी से परखेगी। बताया जा रहा है कि तीन पीसीएस अधिकारियों के कार्यकाल में भू उपयोग में बदलाव हुए। बरेली-सितारगंज हाईवे और रिंग रोड के लिए अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद भू उपयोग में बदलाव के कुछ मामले तो एनएचएआई मुख्यालय से आई टीम की जांच में ही सामने आ चुके हैं। यह आर्थिक अपराध का बड़ा मामला बन सकता है। एनएचएआई के चेयरमैन संतोष कुमार यादव पहले ही यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र भेजकर आर्थिक अपराध शाखा से जांच कराने की सिफारिश कर चुके हैं।

राजस्व कर्मियों पर सख्ती हुई तो आएगी भ्रष्ट अफसरों की शामत

घोटाले की परतें उधेड़ने के वास्ते जांच टीम तत्कालीन लेखपाल, कानूनगो, अमीन, नायब तहसीलदार और तहसीलदार आदि से भी पूछताछ कर सकती है। इन अधिकारियों-कर्मचारियों की गरदनें फंसीं तो ये आला अफसरों की सारी काली करतूतों का कच्चा चिट्ठा जांच टीम के सामने खोलकर रखने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाएंगे। कानूनगो, लेखपाल और अमीन आदि उन अधिकारियों का नाम उजागर कर सकते हैं, जिनके इशारे पर यह बड़ा घोटाला हुआ था। लेखपाल से लेकर तहसीलदार तक की रिपोर्ट लगी और तत्कालीन एसडीएम ने भूमि के श्रेणीकरण में बदलाव किया। इसके बाद ही अधिक मुआवजा तय हो सका। बताते हैं कि बरेली-सितारगंज हाईवे की अधिसूचना जारी होने के बाद भुगतान होने तक भ्रष्टाचार का यह गंदा खेल बदस्तूर चलता रहा। एनएचएआई मुख्यालय से आई टीम ने पीलीभीत और ऊधमसिंह नगर में छह मामलों में 38 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा था। खेती की जमीन पर भवन और गोदाम आदि दर्शाकर राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से ऊधमसिंह नगर, लखनऊ और अन्य स्थानों के कुछ लोगों ने अधिक भुगतान हासिल किए हैं।

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