अर्थ-व्यापार
वित्तीय वर्ष 2024-25 के आम बजट पर कर्मचारियों, व्यापारियों और राजनेताओं की बेबाक प्रतिक्रियाएं
मोदी सरकार की कमजोरी और अस्थिरता का भद्दा नमूना है बजट यशपाल आर्य
उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने वर्ष 2024-25 के आम बजट को मोदी सरकार को बचाने का बजट बताया है। बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि पूरा बजट मोदी सरकार की कमजोरी और अस्थिरता का ही नमूना है। शहरी-ग्रामीण विकास, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, एमएसएमई, निवेश, ईवी प्रोत्साहन स्कीम, निवेश आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दस्तावेजों, नीतियों, विजन, समीक्षा आदि पर सिर्फ चर्चा भर ही हुई है, बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री आर्य ने आरोप लगाया कि बजट में कांग्रेस के घोषणापत्र की भद्दी नकल की गई है लेकिन अर्थव्यवस्था और रोजगार की सेहत को सुधारने के लिए जरूरी ठोस नीतियां और कार्ययोजना गायब हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में एआई को कौशल विकास और रोजगार के लिए गंभीर खतरा बताया गया था लेकिन बजट में कोई उपाय नहीं दिखा है। चीन से आयात ऐतिहासिक स्तर तक बढ़ चुुकने की वजह से एमएसएमई सेक्टर पर अस्तित्व का संकट है लेकिन बजट खामोश है। मेडिकल, इंजीनियरिंग में निजी कालेजों की आसमान छूती फीस के जंजाल से आम मध्य वर्गीय परिवारों के मेधावी युवाओं को मुक्ति दिलाने का भी इस बजट में उपाय नहीं है। श्री आर्य ने पूछा कि वर्ष 2015 में 2023 तक 40 करोड़ युवाओं को कौशल विकास के घोषित एजेंडे के विपरीत मोदी सरकार इस अवधि में सिर्फ 1.37 करोड़ युवाओं को ही प्रशिक्षित कर पाई। अगले पांच वर्षों में भी सिर्फ 4.1 करोड़ युवाओं के प्रशिक्षण का ही लक्ष्य है; बाकी 34 करोड़ से भी ज्यादा बेरोजगार युवाओं की फौज के भविष्य को लेकर सरकार मौन क्यों है? इसी तरह वर्ष 2021 के बजट में एक करोड़ बेरोजगारों को 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप और 5 हजार रुपये माहवार मानदेय भी सपना ही रहा है। श्री आर्य ने कहा कि मोदी सरकार के इस बजट में भी छलावों के अलावा आम लोगों को राहत दिलाने की कोई ठोस कार्ययोजना और ईमानदार कोशिश कहीं भी नहीं दिख रही है।
ऐरन बोले-सिर्फ कुर्सी बचाओ बजट है यह
बरेली। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के सपा प्रत्याशी रहे पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने वर्ष 2024 के आम बजट को कुर्सी बचाओ बजट करार दिया है।
बजट पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए श्री ऐरन ने कहा कि एनडीए के सहयोगी दलों को खुश करने के लिए दूसरे राज्यों की कीमत पर खोखले वादे किए गए हैं। किसानों की आय दुगनी करने य को लेकर जो वादा किया था, वह धरातल पर नहीं उतर पाया है। पिछले दस 10 साल की तरह इस साल भी आम आदमी समेत हर वर्ग को बजट से निराशा ही हाथ लगी है। गांवों के हालात सुधारने की कोई असरदार योजना बजट में पेश नहीं की गई है।
मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों की खिल्ली उड़ाते हुए श्री ऐरन ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की तरक्की वाला नहीं, बल्कि मोदी सरकार बचाओ बजट पेश किया है। 10 साल बाद भी युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं ही हुई हैं लेकिन किसानों की राहत के लिए सिर्फ सतही बातें ही कही गई हैं। बजट में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और गांव-गरीब के लिए भी कोई ठोस योजना नहीं रखी गई है।
कर्मचारियों और सीनियर सिटीजन्स को तो मायूस ही किया है
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत आम बजट कर्मचारियों और सीनियर सिटीजन की आशाओं के अनुरूप नहीं है। आयकर की न्यू रिजिम में दी गई छूट ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगी। सीनियर सिटीजन को उम्मीद थी कि कोरोना काल में बंद हुई रेल रियायत फिर से बहाल होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी में भी कोई राहत नहीं मिली है। घरेलू बचत बढाने के कोई उपाय नहीं होने से मिडिल क्लास को झटका लगा है।
संजीव मेहरोत्रा
महामंत्री, बरेली ट्रेड यूनियंस फेडरेशन
निराशाजनक और छलावा भर
23 जुलाई 2024 को संसद मे पेश किए गए बजट से केन्द्रीय कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों, किसानों,आम आदमी और युवाओं को घोर निराशा हुई है।
छलावे के इस बजट में न तो बहुप्रतीझित आठवें वेतन आयोग के गठन का आश्वासन मिला है और न ही कोरोना काल के दौरान रोका गया 18 माह का डीए केंद्रीय कर्मचारियों को देने को लेकर घोषणा की गई है। आयकर में दी गई छूट महंगाई के मौजूदा दौर में दिखावा भर है।
रेल यात्रा में रियायत की वरिष्ठ नागरिकों की मांग नहीं मानना, केन्द्रीय रिक्त पदों पर भर्तियों की घोषणा नहीं करना, आम आदमी से जुड़ी महंगाई को रोकने जैसे तमाम हितों की भी अनदेखी की गई है। बजट में सरकार से किसान सम्मान निधि में यथोचित बढ़ोत्तरी, आम उपभोग की वस्तुओं और हेल्थ बीमा की जीएसटी दरों में बदलाव, पैट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों मे कमी के उपायों की आशा थी। लिहाजा इस बजट से कर्मचारी, वरिष्ठ नागरिक, युवा,किसान और आम आदमी सभी को घोर निराशा हुई है।
विवेक मिश्रा,
सहायक महामंत्री,
एन ई रेलवे मैंस कांग्रेस, इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन, इज्जतनगर, बरेली।