एफएनएन, देहरादून : राजपुर में आरक्षित वन क्षेत्र पर कब्जा और पेड़ों का अवैध कटान किए जाने के आरोप में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के विरुद्ध करीब नौ साल बाद मुकदमा दर्ज किया गया है। इस प्रकरण में वन विभाग ने मीडिया को जारी किए गए पत्र में अपना पक्ष रखा है। वन विभाग ने इस मुकदमे की कार्रवाई को नियमानुसार बताया है। वन विभाग ने नौ साल पूर्व मुकदमा दर्ज न होने का मुख्य कारण बीएस सिद्धू का प्रभाव बताया है। उस समय सिद्धू पुलिस विभाग में उच्च पद पर आसीन थे।
इसके अलावा तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग की ओर से जिलाधिकारी देहरादून के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत किए जाने के बाद राजस्व विभाग की ओर से बीएस सिद्धू के नाम हुआ दाखिल-खारिज निरस्त करते हुए पुनः वन भूमि को वन विभाग के नाम पर राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया गया।
बीएस सिद्धू की ओर से जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में बताया गया था कि इस प्रकरण में फर्जी नत्थूराम की ओर से उनके साथ की धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने वन भूमि के क्रय के दौरान दी गई स्टांप ड्यूटी वापस करने के लिए अनुरोध किया, लेकिन नत्थूराम की ओर से उनसे 60 लाख रुपये लिए जाने के संबंध में नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्होंने कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया।
इससे स्पष्ट है कि आरोपित सिद्धू ने ही फर्जी नत्थूराम को वन भूमि के विक्रेता के रूप में खड़ा किया। वन विभाग का आरोप है कि पूर्व में सिद्धू के पुलिस महानिदेशक पद पर रहने के कारण पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। जबकि एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का निर्णय उच्च स्तर से ही हो सकता था। शासन की ओर से अब इस पर निर्णय लिए जाने व निर्देशित किए जाने के बाद वन विभाग ने बीएस सिद्धू समेत आठ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।