Friday, April 25, 2025
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नहीं रहे ‘साहित्य सुरभि’ साहित्यिक संस्था के संस्थापक अध्यक्ष और बरेली में काव्य के छतनार वटवृक्ष राममूर्ति गौतम ‘गगन’

निस्तब्ध और हक्का-बक्का रह गया बरेली का साहित्यिक समाज

अच्छे कवि होने के साथ ही जुबान के थोड़े तीखे लेकिन निश्छल हृदय व्यक्तित्व के धनी थे

सोशल मीडिया पर पूरे दिन लगा रहा शोक संवेदनाओं और श्रद्धांजलियों का तांता

एफएनएन ब्यूरो, बरेली। तीन दशक पहले स्थापित प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘साहित्य सुरभि’ का बरेली में सफल संचालन करते आ रहे विविध विधाओं पर समान अधिकार रखने वाले मूर्धन्य साहित्यकार राममूर्ति गौतम ‘गगन’ का 87 वर्ष की आयु में कल 29 दिसंबर रविवार की रात प्रह्लादनगर मढ़ीनाथ स्थित उनके निवास स्थान पर निधन हो गया है। श्री गगन अपने पीछे दो विवाहित बेटियों के संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार छोड़ गए हैं।

एक कार्यक्रम में कवि रोहित राकेश के साथ साहित्य सुरभि के संस्थापक अध्यक्ष महान साहित्यकार राममूर्ति गौतम ‘गगन’ (फाइल फोटो)

सप्ताह भर पहले स्वास्थ्य अचानक काफी बिगड़ने पर एक साहित्यिक मित्र सुरेश ठाकुर ने उन्हें बरेली के मिशन हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। आईआईसीयू में डॉक्टरों की सघन निगरानी में इलाज चल ही रहा था कि आगरा से आए धेवते के आग्रह पर उन्हें आगरा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।‌ आगरा में इलाज से हालत में थोड़ा सुधार दिखने पर दो दिन पहले ही वहां से डिस्चार्ज करवाकर बरेली लाया गया था। बीती रात अचानक उनके प्राण पखेरू उड़ गए। उस वक्त अंदर से बंद बहुत बड़े मकान में अकेले ही थे। बाद में अनहोनी की आशंका पर बेहद करीबी कवि रणधीर गैड़ धीर और अन्य लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में अंदप से बंद मकान खुलवाकर देखा तो गगन जी मृत पड़े मिले। उनके निधन से बरेली का साहित्य जगत निस्तब्ध और हक्का-बक्का सा होकर रह गया है। सोशल मीडिया पर सोमवार को अल सुबह से देर रात तक शोक संवेदनाओं और श्रद्धांजलियों का तांता लगा रहा।

स्मृति शेष: बरेली में साहित्याकाश के प्रखर मार्तंड राममूर्ति गौतम ‘गगन’


27 वर्ष पहले पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल कार्यालय में वाणिज्य अधीक्षक के पद से बड़े ओहदे से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रह्लादनगर मढीनाथ में मकान बनवाकर रह रहे थे। सेवानिवृत्ति के कुछ वर्ष बाद ही पत्नी का भी निधन होने पर बिल्कुल अकेले पड़ गए थे। दोनों बेटियों के परिवार अलग-अलग शहरों में सेटल्ड हैं।

श्री गगन का विराट साहित्यिक व्यक्तित्व बरेली के साहित्य जगत में निश्चित ही एक विशालकाय छतनार वटवृक्ष सरीखा था। वर्ष 1994 में संस्थापक अध्यक्ष की हैसियत से साहित्यिक संस्था ‘साहित्य सुरभि’ का गठन किया। बीच-बीच में अध्यक्ष भले ही बदलते रहे लेकिन संरक्षक की तरह पिछले 30 वर्ष से संस्था को लगातार सींचते और खाद-पानी देते रहे। ‘साहित्य सुरभि’ के बैनर तले बरेली में नियमित रूप से मासिक कवि गोष्ठियां कराते आ रहे थे। जाने कितने नवोदितों ने गगन जी की छत्रछाया में कविता लेखन सीखा और उनके निरंतर मार्गदर्शन की बदौलत आज वे सब स्थापित कवि के रूप में प्रतिष्ठा, लोकप्रियता और सम्मान बटोर रहे हैं। गगन जी के प्रकाशित काव्य संग्रहों में गीत गगन के, वसंत के आंसू, युग निनाद, सौरभ के मुक्ताहल, मधु गंध, मुक्तावली काव्य कृतियां शामिल हैं। आध्यात्मिक रचनाओं पर आधारित एक अप्रकाशित काव्य कृति सद्गुरु शरणम् अभी प्रेस में है।

अभी हाल ही में गगन जी ने चर्चित कवि वर्ष 1994 से ही संस्था से जुड़े रामकुमार कोली को अपने स्थान पर ‘साहित्य सुरभि’ के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा था। महान कवि होने के साथ ही गगन जी जुबान के तीखे लेकिन निश्छल हृदय के श्रेष्ठ इंसान भी थे।

शाम चार बजे प्रह्लाद नगर मढ़ीनाथ स्थित उनके निवास से सिटी श्मशान भूमि तक विशाल शव यात्रा निकाली गई। बाद में प्राचीन सिटी श्मशान भूमि में विधिविधान से उनकी अंत्येष्टि कर दी गई।

आवास पर पहुंचकर शोक संवेदनाएं व्यक्त करने और अंतिम यात्रा और अंत्येष्टि में सम्मिलित हेने वालों में कवि गोष्ठी आयोजन समिति से 42 वर्ष से जुड़कर नियमित मासिक काव्य गोष्ठियां कराते आ रहे संस्था के वर्तमान अध्यक्ष/वरिष्ठ साहित्यकार रणधीर गौड़ ‘धीर’, ‘साहित्य सुरभि’ के वर्तमान अध्यक्ष रामकुमार कोली,हास्य एवं अन्य विधाओं के सशक्त मंचीय कवि एवं संचालक रोहित राकेश, मंच के स्थापित कवि विश्वजीत ‘निर्भय’, साहित्यकार ब्रजेंद्र ‘अकिंचन’, सुरेश ठाकुर , गणेश ‘पथिक’ आदि सम्मिलित हुए।

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