एफएनएन ब्यूरो, बरेली। 25 साल से बंद पड़ी रबड़ फैक्ट्री के विस्थापित श्रमिकों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को फिर वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरूण कुमार सक्सेना से बरेली में उनके कैंप कार्यालय में मिला और हाईवे में अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे की रकम में से विस्थापित श्रमिकों को अंतरिम राहत राशि तत्काल दिलवाने का आग्रह किया।
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री डॉ. अरुण कुमार को ज्ञापन देकर पिछले 25 सालों से आर्थिक तंगी, भुखमरी, बेरोजगारी का दंश झेल रहे रबड़ फैक्ट्री के विस्थापित कर्मचारियों और उनके आश्रित परिवारों की समस्याओं की तरफ उनका ध्यान खींचा। कहा- पिछले दिनों बरेली में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के समक्ष समस्याएं रखने के बावजूद अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं मिले हैं।
साथ ही मुख्य सचिव को संबोधित एक अन्य ज्ञापन भी मंत्री को सौंपकर मांग की कि फैक्ट्री के सैकड़ों विस्थापित श्रमिकों को हाईवे मे अधिग्रहीत रबड़ फैक्ट्री की ज़मीन की बरेली ट्रेजरी मे जमा मुआवजा राशि से अन्तरिम राहत प्रदान की जाए। बताया कि इसी सितम्बर माह मे तंगहाली के शिकार 4 विस्थापित श्रमिकों की असमय मृत्यु हो चुकी है। मामला लम्बित रहने पर कई और श्रमिक भी अकाल मृत्यु के शिकार बन सकते हैं। ढाई दशक के लंबे अरसे में 600 से अधिक विस्थापित श्रमिक पहले ही असमय मृत्यु के मुंह नें जा चुके हैं। इसलिए ज्ञापन पर मानवीय आधार पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाए।
मंत्री डॉ. अरुण कुमार ने श्रमिक नेताओं को आश्वस्त दिया कि वह लगातार प्रमुख सचिव के सम्पर्क में हैं। रबड़ फैक्टरी सरकार की प्राथमिकता पर है और बकाया भुगतान शीघ्र कराने तथा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना की दिशा में भी काम तेजी से चल रहा है। प्रतिनिधिमंडल में एस एंड सी यूनियन के महामंत्री अशोक कुमार मिश्रा और सतीश रोहतगी, अनिल गुप्ता, सन्त प्रकाश शर्मा, आरसी शर्मा आदि शामिल रहे।