![](https://frontnewsnetwork.com/wp-content/uploads/2025/01/300x250-4.jpeg)
- पोलिंग बूथों पर कतारों में खड़े पाक शरणार्थी, वाल्मीकि और गोरखा समुदायों के वोटर दिखे खुश
- जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद पहली बार चुनाव हुए तो बोले अब मिला इंसाफ
- 43 निर्वाचन क्षेत्रों में हो रहा है मतदान, 25 कश्मीर में और 18 जम्मू में हैं
जिला विकास परिषद चुनाव
एफएनएन, जम्मू: जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव एवं पंचायत उपचुनाव के लिए शनिवार को संगीनों के कड़े पहरे में मतदान कराया गया। इस दौरान मतदान केद्रों पर लोगों में भारी उत्साह देखा गया। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार चुनाव हो रहे हैं। जिला विकास परिषद के इस चुनाव में गुपकार गठबंधन के दल भी चुनाव लड़ रहे हैं। अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए हजारों शरणार्थी और वाल्मीकि और गोरखा आदि समुदायों के बहुत से स्थानीय लोग भी अब जम्मू कश्मीर के स्थानीय चुनाव में वोट डालने, जमीन खरीदने एवं नौकरियों के लिए आवेदन करने के पात्र हो गये हैं। वे चुनाव भी लड़ सकते है।
विशेष दर्जा समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे हैं चुनाव
पांच अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर उसे जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। इसके बाद सरकार ने कई कानून लागू किए जिनमें जमीन और नागरिकता से जुड़े कानून भी शामिल हैं। जम्मू के बाहरी इलाके के अखनूर प्रखंड के कोट घारी में एक मतदान केंद्र के बाहर कतार में खड़ी पश्चिम पाकिस्तान शरणार्थी समुदाय की युवती सुजाती भारती ने कहा, ‘हमने समानता, न्याय एवं आजादी जैसे शब्द सुने हैं और आज हम इन शब्दों के असली मायने महसूस भी कर रहे हैं।’
वोटिंग का अधिकार मिलने से खुश हैं शरणार्थी
उसने विशेष दर्जा हटाने के फैसले पर मोदी सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि उसके समुदाय के लोग 70 साल के बाद स्थानीय चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारती ने कहा कि वह स्थायी निवासी के रूप में कतार में मुक्त महसूस कर रही है । उसने कहा कि आखिरकार सात दशक के लंबे संघर्ष के बाद न्याय मिला। संसदीय चुनाव छोड़कर ये शरणार्थी पिछले साल तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा, पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान से वंचित थे।