- मेयर और विधायक से सवाल पूछ रही रुद्रपुर की जनता
- कुछ भाजपाइयों ने तो सोशल मीडिया पर मेयर से इस्तीफा तक मांग लिया
एफएनएन, रुद्रपुर : जिम्मेदार विभाग और जनप्रतिनिधि अगर समय रहते शहर के नालों और नालियों की सफाई करा लेते तो आज क्यों यह नौबत आती ! खुद यह सवाल आज जनता इन जनप्रतिनिधियों से पूछ रही है। बड़ा सवाल यह भी है कि गुजरे अक्टूबर माह में आई आपदा के बावजूद बड़े-बड़े दावे करने वाले जनप्रतिनिधि और अफसर आखिर क्यों नहीं चेते। क्या उन्हें दोबारा रुद्रपुर के डूबने का इंतजार था ! आज जब दोबारा रुद्रपुर बर्बादी के मुहाने पर खड़ा है तो क्यों सोशल मीडिया पर ड्रामेबाजी की जा रही है। क्यों एकजुट न होकर जनप्रतिनिधि अपनी अपनी तस्वीरें और अदम्य साहस दिखाने के लिए फोटो वायरल कर रहे हैं।
आपको बताते चलें कि औद्योगिक नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले रुद्रपुर का बड़ा एरिया स्लम क्षेत्र है। यहां मूलभूत सुविधाओं तक को लोग तरसते हैं। हर चुनाव में वोट लेने की खातिर इन क्षेत्रों की भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाया जाता है। चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि इन इलाकों पर कितना ध्यान देते है, इसकी बानगी आज फिर देखने को मिली। रुद्रपुर एक बार फिर बर्बादी के मुहाने पर आ गया। जनप्रतिनिधियों के दावे पानी में गोते लगाते नजर आए। जलभराव की समस्या का हल कराने के लिए शक्तिमान बनकर आने वाली सर्वे एजेंसी भी दिखाई नहीं दी। न ही इस सर्वे एजेंसी का जनप्रतिनिधियों की जुबान पर कोई जिक्र दिखा। हां, सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए सभी ने अपने फेसबुक अकाउंट को जरूर एक्टिव कर लिया। पानी में घुसते हुए, बच्चे को गोदी में उठाते हुए और लोगों को भरोसा दिलाते हुए फोटो और वीडियो जरूर वायरल किए गए। बड़ी बात यह है कि समस्या एक थी लेकिन जनप्रतिनिधि अलग-अलग अपने ढंग से चेहरा दिखाने की होड़ में लगे थे। जनप्रतिनिधियों को देखकर अफसर भी इस मौके पर डुबकी लगाने से नहीं चूके। लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं हो जाती। बारिश ने लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचाया। अभी 1 साल भी नहीं बीता था कि लोगों को फिर बड़े नुकसान का डर दिखने लगा। कुछ को नुकसान हुआ भी लेकिन भला हो जनप्रतिनिधियों का जो एक्टिव मोड़ में तो नजर आए लेकिन शहर में इस समस्या को लेकर उनकी कोई रणनीति दिखाई नहीं दी।
- कोसते हुए काटी रात, लोग बोले- चुनाव में बताएंगे हैसियत
रुद्रपुर : शुक्रवार के बाद शनिवार की रात भी लोगों ने भारी बारिश के बीच कोसते हुए काटी। लोगों को यह डर सता रहा था कि कहीं गुजरे अक्टूबर माह की तरह ही उन्हें बड़ा नुकसान न उठाना पड़े। जनप्रतिनिधियों के लिए यह एक ही बात कहते नजर आए कि अबकी चुनाव में अपनी हैसियत का अंदाजा इन्हें दिखा देंगे। यहां आपको बता दें कि अक्टूबर में आए जल प्रलय से हुए लोगों को नुकसान की भरपाई के रूप में सिर्फ अहेतुक राशि के ₹3600 के चेक ही वितरित किए गए थे, जबकि नुकसान काफी बड़ा था। जैसे तैसे लोगों ने संभलने की कोशिश की, लेकिन बारिश ने एक बार फिर लोगों में खौफ और जनप्रतिनिधियों के प्रति गुस्सा भर दिया।