एफएनएन, राजस्थान : आवारा कुत्तों के बढ़ते मामलों और सड़क सुरक्षा पर शुक्रवार को एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्यों के ढीले रवैये पर सख्त नाराजगी जताते हुए तीन महत्वपूर्ण और देशव्यापी आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि अब आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के 3 नए आदेश:
- सड़कों से हटाओ, शेल्टर में रखो: कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आवारा पशुओं को लेकर दिए गए आदेश को पूरे देश में लागू करने का निर्देश दिया है। हाईवे और सड़कों से आवारा पशुओं को हटाकर आश्रय स्थल में रखा जाएगा।
- 24 घंटे निगरानी और हेल्पलाइन: नगर निगमों को पेट्रोलिंग टीम बनाने और 24 घंटे निगरानी रखने को कहा गया है। इसके अलावा नागरिकों की सुविधा के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने का आदेश दिया गया है।
- सार्वजनिक स्थानों पर नो-एंट्री: कोर्ट ने निर्देश दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, अस्पतालों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों में बाड़ लगाकर या अन्य उपाय अपनाकर आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोका जाए। उनका वैक्सिनेशन और स्टरलाइजेशन करने के बाद उन्हें शेल्टर होम में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी आदेशों को 8 सप्ताह के भीतर लागू करने के लिए कहा है।
राज्यों के ‘लापरवाह’ रवैये पर कोर्ट नाराज :
जजों ने इस मामले में राज्यों के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि देशभर में लगातार कुत्तों के काटने की घटनाएं हो रही हैं, जिससे दुनिया में भारत की खराब छवि बन रही है, लेकिन राज्य सरकारों का रवैया ढीला है।
- पुराना आदेश और विरोध: इससे पहले 11 अगस्त को जस्टिस जे बी पारडीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में बंद करने का आदेश दिया था। इस आदेश के विरोध में एनिमल लवर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
- आदेश बदला, दायरा बढ़ा: बाद में तीन जजों की बेंच ने पुराने आदेश को बदलते हुए कुत्तों को स्टरलाइज और वैक्सिनेट करने के बाद उन्हीं के इलाके में वापस छोड़ने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने 22 अगस्त को सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए विभिन्न हाईकोर्ट्स में लंबित मामलों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया और राज्यों से हलफनामा मांगा।
- जवाब न देने पर फटकार: कोर्ट ने हैरानी जताई कि नोटिस के बावजूद दो राज्यों को छोड़कर किसी ने हलफनामा दाखिल नहीं किया, यहां तक कि दिल्ली सरकार ने भी नहीं। कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा, “क्या राज्य के अधिकारी अखबार नहीं पढ़ते या सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते?”





