Saturday, October 19, 2024
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बरेली: विधवा को निकाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने, गर्भपात कराने और जान से मारने की धमकी

एफएनएन, बरेली : विधवा को निकाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने, गर्भपात कराने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने बुधवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने भोजीपुरा ग्राम दभौरा खंजनपुर निवासी युसुफ उर्फ युसुब शाह को गर्भपात कराने, धमकी देने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

50 हजार जुर्माना डाला। जुर्माने की पूरी रकम पीड़िता को देने के आदेश दिए। वहीं, कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप से अभियुक्त को बरी कर दिया। बगैर पुख्ता सबूत दुष्कर्म की धारा में आरोप पत्र भेजने पर तत्कालीन थानाध्यक्ष भोजीपुरा, विवेचक और सीओ के विरुद्ध कार्रवाई के लिए एसएसपी को निर्देश दिया है।

सरकारी वकील दिगम्बर पटेल और सौरभ तिवारी ने बताया कि पीड़िता ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अर्जी देकर बताया था कि उसके पति की मृत्यु लगभग दो वर्ष पूर्व हो चुकी थी। वह एक प्लाईवुड कंपनी में काम करके गुजारा कर रही थी। फैक्ट्री में काम कर रहे युसुफ से उसकी जान पहचान हुई। युसुफ हमदर्दी जताने लगा और कहने लगा कि वह उसे पसंद करता है। वह उसके साथ निकाह करेगा।

पीड़िता के अनुसार वह किराये के कमरे में बच्चे के साथ रहती थी, जहां युसुफ अली आने-जाने लगा। निकाह का झांसा देकर युसुफ छह माह से अधिक समय तक उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। इसी दौरान वह गर्भवती हो गई। युसुफ ने अल्ट्रासाउंड 3 अगस्त 2023 को करवाया, जिसमें वह गर्भवती पाई गई। इस दौरान युसुफ ने गर्भपात कराने के बाद निकाह करने की बात कही।

युसुफ ने हवाई अड्डे स्थित एक अस्पताल ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया। इसके बाद युसुफ ने कहा कि वह घरवालों को लेकर आएगा और निकाह करेगा यह कहकर चला गया। कई दिन इंतजार करने के बाद भी युसुफ उससे मिलने नहीं आया। कुछ दिन बाद युसुफ के पिता कौसर अली उर्फ मुखिया, ताहिर और जाबिर के साथ रात में उसके कमरे पर आए और कहा कि उसके बेटे का पीछा छोड़ दो, थोड़ा पैसा ले लो और यहां से चली जाओ। ऐसा न करने पर उसकी हत्या कराने की धमकी दी।

मामले में उच्चाधिकारी को पत्र दिया, तब थाना भोजीपुरा पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाया। 25 अगस्त 2023 को एक समझौतानामा लिखा गया, जिसमें तय हुआ कि पीड़िता कोई कार्रवाई नहीं कराएगी और युसुफ उससे जल्द निकाह कर लेगा, मगर बाद में युसुफ ने निकाह करने से इन्कार कर दिया। मामले में एसएसपी के आदेश पर भोजीपुरा पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी। विवेचना के बाद युसुफ के विरुद्ध चार्जशीट भेजी गई थी। शासकीय अधिवक्ता ने मामले में छह गवाह पेश किए थे।

लिव इन रिलेशनशिप में सहमति से बने संबंध, दुष्कर्म नहीं हुआ
बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि युसुफ ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं किया। पीड़िता से अभियुक्त की दोस्ती थी, जो कि लिव इन रिलेशन में बदल गई। दुष्कर्म बिना इच्छा के पीड़िता के साथ एक बार हो सकता है, कई महीने तक अभियुक्त का पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। जब युसुफ ने शादी से मना किया तब विवाद शुरू हुआ।

जिरह में पीड़िता ने कबूला आपसी सहमति से थे संबंध
पीड़िता से जब अभियुक्त के वकील ने जिरह की तो बयानों में विरोधाभास पाया गया। कहा कि युसुफ उसके पति के जीवनकाल से आ-जा रहा था। उसके पति को यह बात पता नहीं थी। यह उसके पास लगभग छह माह से आता-जाता रहा, उसने किसी से शिकायत नहीं की। पीड़िता ने स्वेच्छया से बिना निकाह किए अभियुक्त के साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसको कोर्ट ने बलात्कार नहीं माना।

लापरवाही : संदिग्ध प्रतीत होने पर भी दुष्कर्म की धारा में आरोप भेजा
कोर्ट ने पाया कि पीड़िता ने निराधार कथनों के आधार पर झूठा मुकदमा दुष्कर्म के संबंध में दर्ज करवाया। पुलिस को दुष्कर्म की घटना प्रथम दृष्टया संदिग्ध प्रतीत होने की जानकारी शुरू से ही थी। इसके बाद भी दुष्कर्म की धारा में आरोप पत्र भेजा गया। तत्कालीन विवेचक एसआई तेजपाल सिंह, प्रभारी निरीक्षक थाना भोजीपुरा जगत सिंह, सीओ नवाबगंज चमन सिंह चावड़ा ने पर्यवेक्षण शक्तियों का समुचित प्रयोग नहीं किया। सत्य की खोज नहीं की गई। कोर्ट ने इन अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया है।

पीड़िता की सहमति भ्रम पर आधारित नहीं थी, क्योंकि कोई व्यक्ति शादी का झांसा देकर लगातार छह माह तक वादिनी के साथ उसके घर पर शारीरिक संबंध नहीं बना सकता। इस लंबी अवधि तक बिना महिला की स्वीकृति के संबंध बनना सम्भव ही नहीं है। उपरोक्त कृत्य बलात्कार की श्रेणी में कतई नहीं आएगा। आईपीसी की धारा 375 में सहमति का अर्थ स्पष्ट किया गया हैरवि कुमार दिवाकर, स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट।

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