मानसून मैराथन में पार्टिसिपेट कराने के बहाने नैनीताल के होटल में ले जाकर की थी यौन शोषण की कोशिश,
सात साल पुरामे केस में बरेली के विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) ने सुनाया फैसला
एफएनएन ब्यूरो, बरेली। वर्ष 2017 में नेशनल स्तर की धाविका के यौन शोषण की कोशिश के गंभीर मामले में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) बरेली कुमार मयंक ने जाने-माने स्पोर्ट्स कोच साहिबे आलम को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदंड (जुर्माना) भी ठोंका है।
आरोप था कि वर्ष 2017 में मानसून मैराथन में सहभागिता करवाने के बहाने कोच साहिबे आलम 14 साल की राष्ट्रीय स्तर की एक नाबालिग एथलीट को नैनीताल ले गया और बहकाते-धमकाते हुए एक होटल में ले जाकर जबरन अश्लील वीडियो दिखाए और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए दुष्कर्म का प्रयास किया। किसी तरह चंगुल से छूटकर किशोरी घर पहुंची और परिवार को आपबीती बताई, लेकिन कोच की धमकियों के कारण बुरी तरह सहमी पीड़िता और उसके परिवार वाले काफी समय तक शिकायत दर्ज नहीं करवा पाए थे।
2018 में एफआईआर के बाद शुरू हुई थी कानूनी कार्रवाई
वर्ष 2018 में पीड़िता ने कोच के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई। मुकदमे के दौरान यह बात सामने आई कि कोच ने समझौते के लिए कई तरह के दबाव भी बनाए। साहिबे आलम, बरेली एथलेटिक संघ के सचिव भी रह चुके हैं। कोच रहते हुए उनके खिलाफ कई अन्य विवादित आरोप भी लगे थे।
सात साल बाद आया कोर्ट का फैसला
शनिवार को इस केस में विशेष न्यायाधीश ने साहिबे आलम को सात साल की कठोर सजा सुनाई। साथ ही आर्थिक दंड भी लगाया है। फैसला सुनाने के बाद कोच को जेल भेज दिया गया।
फैसले पर पीड़िता के परिवार ने जताई खुशी
कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के परिवार ने सात साल के शर्मिंदगी-तनाव और सामाजिक प्रताड़ना भरे लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सच्चाई की जीत होने और बिटिया को न्याय मिलने पर संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उनकी बेटी और हम सबके लिए बड़ी मानसिक राहत लेकर आया है।