Saturday, October 19, 2024
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आगरा: ताजमहल में अब बंदरों के आतंक; तैनात की गई एंटी मंकी टास्क फोर्स

एफएनएन, आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित ताजमहल पर बंदरों की समस्या पुरानी है। नगर निगम ने कई बार बंदरों को पकड़ा भी लेकिन समस्या जस की तस रही। पिछले 10 वर्षों में सवा तीन करोड़ रुपये खर्च हो चुके है। अब बंदरों को हाईटेक अंदाज में भगाए जाने की कवायद हो रही है। ताज सुरक्षा पुलिस बंदरों को भगाने पर पांच लाख रुपये खर्च करेगी।

बंदरों को पकड़े जाने के अभियान में खर्च हो चुके हैं सवा 3 करोड़ रुपए

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ताजमहल का दीदार करने आने वाले पर्यटकों पर आए दिन कभी स्मारक के अंदर तो कभी बाहर बंदरों के झुंड हमला कर घायल कर देते हैं। उनके हाथ से सामान छीन ले जाते हैं। पिछले साल तो एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं होने पर जब इस समस्या को लेकर नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए तो बंदरों को पकड़े जाने का अभियान चला। 450 बंदर पकड़े भी गए। उससे पहले 2014 में भी बंदरों को पकड़े जाने के लिए टेंडर किया था। तब भी लगभग 700 बंदर पकड़े गए थे। उस समय शहर के 10 हजार बंदरों को पकड़े जाने की जिम्मेदारी मथुरा के एक ठेकेदार को दी गई थी। इन पर सवा तीन करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

CM और अखिलेश  ने ताजमहल पर बंदरों के आतंक का एक्स पर किया था जिक्र

कुछ दिनों पहले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ताजमहल पर बंदरों के आतंक से पर्यटकों की परेशानी का जिक्र एक्स पर किया था। इसके बाद से सक्रियता बढ़ गई। कुछ दिन पहले ही एडीजी आईबी और एडीजी सुरक्षा ने ताजमहल का निरीक्षण किया था। उसके बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बंदरों का मामला भी उठा था। उस बैठक में एसीपी ताज सुरक्षा ने पर्यटकों को बंदरों से निजात दिलाने के लिए अपना प्लान बताया था। इसमें एंटी मंकी टास्क फोर्स तैनात करने, उन्हें अत्याधुनिक अल्ट्रासोनिक मंकी रिपेलर मशीनों से लैस करने, चिन्हित 15 प्वाइंट पर मशीनों को लगाने कि बात कही गई थी। इसके लिए 15 मशीनों को खरीदने पर 5 लाख रुपये का खर्च आना बताया गया था।

नगर निगम ने बंदरों को पकड़े जाने के बाद उन्हें अन्यत्र स्थानों पर छोड़ दिया। बंदर फिर से वापस पहुंच गए। यही हाल कुत्तों का भी हुआ। इनको पकड़े जाने का अभियान चला। उनकी नसंबदी कराकर उन्हें फिर से छोड़ दिया गया। कुत्ते भी उसी इलाके में फिर से पहुंच गए। अब सवाल ये उठता है कि जब बंदर पकड़े गए तो भी उनका आतंक कम नहीं हो पाया तो भगाए जाने के बाद फिर नहीं आएंगे। इसकी गारंटी कौन लेगा।

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