एफएनएन ब्यूरो, बरेली। बरेली-सितारगंज फोरलेन भूमि अधिग्रहण घोटाले में बरेली के डीएम रविंद्र कुमार द्वारा गठित जांच कमेटी ने पहले दिन प्रकरण को समझा और जांच के बिंदु तय किए। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी से अधिग्रहण के अभिलेख मांगे हैं। कमेटी अब दोषी कर्मचारियों-अधिकारियों को चिह्नित कर उनकी भूमिका का पता लगाएगी। उसकी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
जांच कमेटी में सीडीओ जगप्रवेश अध्यक्ष, एडीएम एफआर संतोष बहादुर सिंह और बीडीए के विशेष कार्याधिकारी गौतम सिंह सदस्य हैं। जांच के दौरान संबंधित लेखपालों, सर्वे कर्मियों, मूल्यांकर्ताओं, अमीन और विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारियों से भी सवाल होंगे, जिन्होंने खाली जमीन पर स्ट्रक्चर दिखाए और अधिक मूल्यांकन किया।
टीम पता करेगी कि भूमि के सर्वे, मूल्यांकन और मुआवजा वितरण तक किस अधिकारी, कर्मचारी और पीडब्ल्यूडी अभियंताओं की क्या भूमिका थी?
ये हैं जांच के बिंदु
डीएम सर्किल रेट से अधिक भुगतान तो नहीं हुआ?
ज्वाइंट मेजरमेंट सर्वे और मूल्यांकन किस-किस कर्मचारी-अधिकारी ने किया?
अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद कितने भूखंडों की श्रेणी में बदलाव हुआ?
कितने भूखंडों पर स्ट्रक्चर का निर्माण करके अधिक मुआवजा लिया गया?
लोक निर्माण विभाग के किन अभियंताओं ने मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा किया?
मंडलायुक्त बोलीं-शासन को भेजी जाएगी जांच रिपोर्ट
मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने बताया कि प्रकरण की जांच के लिए जिलाधिकारी की ओर से टीम गठित की गई है। जो जांच रिपोर्ट आएगी, उसे शासन को भेजा जाएगा। आगे की कार्रवाई शासन स्तर से ही होगी।
भू उपयोग परिवर्तन के खेल में शामिल हैं राजस्व अधिकारी
अधिक मुआवजा हासिल करने के लिए कुछ लोगों ने भू उपयोग बदलवाया। यही फर्जीवाड़ा राजस्व कर्मचारियों-अधिकारियों पर कार्रवाई का आधार बनेगा।
सरनिया की जमीन पर 12 करोड़ मुआवजा कैसे बना?
रिंग रोड के लिए अधिग्रहीत सरनिया गांव की उन जमीनों के बदले में 12 करोड़ रुपये का मुआवजा कैसे तय किया गया? इस सवाल पर एनचएचएआई अधिकारियों ने डीएम न्यायालय में आर्बिटेशन दायर किया है।