Monday, December 23, 2024
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडनकली कैंसर दवा रैकेट: अस्पतालों से डेटा लेकर तीन तरीके से मरीजों...

नकली कैंसर दवा रैकेट: अस्पतालों से डेटा लेकर तीन तरीके से मरीजों को बनाते थे शिकार, बिन दुकान ऐसे चल रहा था धंधा


एफएनएन, नई दिल्ली :
 जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज में उपयोगी कीमोथेरेपी की नकली दवाओं के कारोबार करने वाले मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने से इस मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है दिल्ली पुलिस को चौकाने वाली जानकारी मिल रही है।

गिरफ्तार आरोपितों में दो कोमल तिवारी व अभिनव कोहली वर्तमान में रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के कीमोथेरेपी विभाग में ही काम कर रहे थे। इनमें कोमल कीमोथेरेपी विभाग का इंचार्ज था, जबकि अभिनव इस विभाग में मरीजों को कीमोथेरेपी देने यानी ग्लूकोज में कीमोथेरेपी की दवा मिलाने का काम करता था।

नीरज दवा बनाने के बाद बेचने का करता था काम

तीसरा आरोपित नीरज चौहान, नकली दवा बनाने के बाद उसे बेचने का काम करता था। वह पहले धर्मशिला, पारस व बीएलके जैसे कैंसर अस्पतालों में काम कर चुका है।

कई अस्पतालों में काम करने, बी फार्मा करने व मेडिकल सेक्टर से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार आठों आरोपित एक दूसरे के संपर्क में आए थे, जिससे दिल्ली-एनसीआर के कैंसर अस्पतालों में इनके अच्छे संपर्क हैं।

अपने संपर्कों का फायदा उठाकर आरोपित कैंसर मरीजों का डेटा हासिल कर तीन तरीके से अपने नापाक धंधे को अंजाम दे रहे थे।

WhatsApp Image 2023-12-18 at 2.13.14 PM

इन तीन तरीकों से मरीजों से करते थे संपर्क

पहला:- आरोपित कैंसर के मरीजों व उनके तीमारदारों से सीधे संपर्क कर उन्हें सस्ती कीमत में दवा मुहैया कराने का झांसा देकर नकली दवा बेच देते थे।

दूसरा:- आरोपित नकली दवा बनाकर उसे बाजारों में बेचते थे। दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, यूपी,बिहार व पुणे में दवा विक्रेताओं को कीमोथेरेपी की नकली दवा बेचने की अबतक पुष्टि हो चुकी है।

तीसरा:- अफ्रीकी देशों, नेपाल व अन्य देशों से कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली आने वाले मरीजों को नकली दवा बेचते थे। हर कैंसर अस्पताल में विदेश से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए अलग से एक-एक शाखा बनाया हुआ है जिसमें अस्पताल के कई कर्मचारियों की तैनाती रहती है।

WhatsAppImage2024-02-11at73136PM
WhatsAppImage2024-02-11at73136PM
previous arrow
next arrow
Shadow

कुछ आरोपित अलग-अलग अस्पतालों में इस सेक्शन में काम कर चुके हैं जिससे हास्पिटल टूरिज्म में उनकी अच्छी पकड़ है। जिससे ये लोग विदेशी मरीजों से सीधे संपर्क कर उन्हें सस्ती कीमत का झांसा देकर नकली दवा बेच देते थे।

असली शीशियों में भरते थे ये चीज

उक्त तीनों माध्यम से आरोपित किन-किन दवा विक्रेताओं व मरीजों को नकली दवा बेच चुके हैं क्राइम ब्रांच की टीम इस बारे में पता लगा उसकी सूची तैयार कर रही है ताकि उनसे भी पूछताछ की जा सके।

जांच अधिकारी का कहना है कि कीमोथेरेपी की दवा कैंसर के चारों स्टेज वाले मरीजों को दिया जाता है। मरीजों की बीमारी को देखते हुए यह डॉक्टरों पर निर्भर करता है। यह अलग-अलग पावर की दवा होती है।

कुछ दवाई बहुत अधिक पावर की होती है जिससे मरीजों के बाल भी झड़ जाते हैं। चौथे स्टेज वाले मरीजों को अगर नकली कीमोथेरेपी की दवा मिले तब उनकी जान को खतरा भी हो सकता है। क्योंकि आरोपितों द्वारा बनाई जाने वाली सात विदेशी व दो भारतीय ब्रांडों की नकली दवाओं से मरीजों को कोई फायदा नहीं हुआ होगा।

ये लोग नकली दवा में केवल एंटी फंगल भर देते थे, जो पानी की तरह होता है। इससे मरीजों को न तो फायदा हो सकता है और न कोई नुकसान।

2022 में भी हुए थे 14 लोगों को गिरफ्तार

इससे पहले नवंबर 2022 में क्राइम ब्रांच ने ही कैंसर की नकली दवा बनाने के मामले में जिन 14 लोगों को गिरफ्तार किया था वे टेबलेट में स्टार्च यानी मक्के का आटा भरते थे। जिससे मरीजों को कोई फायदा नहीं होता था।

कोमल तिवारी, बुध विहार का रहने वाला है और उसने बी फार्मा किया हुआ है। 2013 में इसने राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र में ज्वाइन किया था। पिछले कई सालों से वह इस अस्पताल में कीमोथेरेपी विभाग का प्रभारी था।

अभिनव कोहली 2018 में राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र में ज्वाइन किया था। वह कीमोथेरेपी विभाग में ग्लूकोज मेंं डॉक्टर के निर्देश के अनुसार कीमोथेरेपी की दवा मिलाने का काम करता था।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments