एफएनएन, दिल्ली : कोरोनिल टैबलेट ने पतंजलि की साख पर बड़ा बट्टा लगाया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस यूनिवॢसटी (निम्स) के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि यूनिवॢसटी के अस्पताल में कोरोना की किसी भी तरह की दवा का ट्रायल हुआ ही नहीं था। सिर्फ और सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाने वाले उत्पाद ही मरीजों का दिए गए थे। मसलन पायलट प्रोजेक्ट के तहत उनको काढ़ा दिया गया है। यही बात तोमर ने गुरुवार को भी कही थी। स्पष्ट किया था कि उनके यहां कोरोना की किसी भी दवा का ट्रायल नहीं हुआ है।
तोमर की मानें तो कोरोना के बिना लक्षण वाले 100 मरीजों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत पतंजलि की स्पॉन्सरशिप से अश्वगंधा, गिलोय व तुलसी का काढ़ा दिया गया था। इनमें अति गंभीर रोगी एक भी नहीं था। इसके लिए राज्य में चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को जानकारी दी गई थी । उन्होंने बताया कि पतंजलि को पत्र भी लिखा गया है कि जिसमें कहा गया है कि रिसर्च का उपयोग किसी कॉमर्शियल काम के लिए नहीं होना चाहिए, यह केवल पायलट प्रोजेक्ट है।
वहीं पतंजलि अपने दावे पर कायम हैं। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बाल कृष्ण ने दावा किया है कि निम्स में ही औषधियों का क्लीनिकल परीक्षण हुआ है। औषधि प्रयोग के परिणामों को 23 जून को सार्वजनिक भी किया गया है। हालांकि यह कहने से भी नहीं चूके कि पतंजलि ने कोरोना के लिए क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल पूर्ण होने से पहले क्लोरीनिल टेबलेट को क्लीनिकली और लीगली कोरोना की दवा कभी भी नहीं कहा। बोले, इस क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआइ) के विषय में विवाद की किसी भी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है।
मरे को भी जिंदा कर सकते हैं बाबा : धारीवाल
स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कोरोनिल दवा पर तंज कसते हुए मजाकिया लहजे में कहा कि बाबा (रामदेव) के पास हर मर्ज की दवा है, वह मरे हुए को भी जिंदा कर सकते हैं।