एफएनएन, देहरादून : बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) में वर्ष 2012 से 2017 के बीच की वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु तक पहुंच गई हैं। वर्तमान में बीकेटीसी के सदस्य आशुतोष डिमरी की ओर से समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर लगाए गए आरोपों पर कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने मुख्य सचिव को जांच कराने के आदेश दिए हैं।
मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने 2012 से 2017 तक बीकेटीसी के अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए हैं। डिमरी ने चमोली जिले के प्रभारी मंत्री डॉ.धन सिंह रावत को शिकायत पत्र देकर जांच कराने की मांग की थी। बीकेटीसी सदस्य की शिकायत के आधार पर प्रभारी मंत्री के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच कराने के आदेश दिए हैं।
मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी का आरोप है कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए। वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई।
वहीं 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का पुनर्निर्माण कराया गया।मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी का आरोप है कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए। वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई।
वहीं 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का पुनर्निर्माण कराया गया।मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी का आरोप है कि बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए। वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई। वहीं 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का पुनर्निर्माण कराया गया। जो मंदिर समिति के अधीन ही नहीं था। इस मंदिर के निर्माण में बिना निविदा के काम कराया गया।
इस पर 15 लाख रुपये खर्च किए गए। तत्कालीन अध्यक्ष के कार्यकाल में बिना अनुमति के कई भर्तियां भी कराई गई हैं। बदरीनाथ जी के प्रसाद के लड्डू में भी बड़ा गोलमाल किया गया है। चौलाई के बद्रीश लड्डू का कार्य बिना निविदा के दिया गया है। बीकेटीसी सदस्य डिमरी की शिकायत पर प्रभारी मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने मुख्य सचिव को पत्र भेज कर जांच कराने के आदेश दिए हैं।
मुझे जांच कराने में कोई आपत्ति नहीं है। पांच साल पहले भी जांच हुई थी, जिसमें कुछ नहीं मिला था। मुख्यमंत्री से मांग है कि मुझ पर लगाए गए आरोपों और सहकारिता विभाग में हुए भ्रष्टाचार की जांच रिटायर्ड जज या विधानसभा समिति गठित कर कराई जाए। शिकायतकर्ता ने विभागीय मंत्री से शिकायत न कर दूसरे मंत्री से शिकायत भेजी है।