Monday, December 23, 2024
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नगर निगम बोर्ड की बैठक में हंगामा, आपस में भिड़े विधायक और पार्षद

  • नामित पार्षदों के मान-सम्मान को लेकर बिगड़ी बात

एफएनएन, रुद्रपुर : नगर निगम बोर्ड की बैठक में आज सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। बैठक में नामित पार्षदों के मान-सम्मान को लेकर बात कुछ ऐसी बिगड़ी कि पार्षद मोहन खेड़ा और विधायक राजकुमार ठुकराल आमने- सामने आ गए। आस्तीनें चढ़ाकर दोनों ने एक- दूसरे को अपशब्द तक कह डालें। मेयर रामपाल ने किसी तरह सदन की मर्यादा का ध्यान दिलाते हुए दोनों पक्षों को शांत कराया। इस बीच कई प्रस्ताव भी पास किए गए, साथ ही पुराने प्रस्ताव पर चर्चा भी हुई।

निगम की बोर्ड बैठक में दुकानों के किराया वृद्धि को लेकर हंगामे के आसार पहले ही नजर आ रहे थे। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा टीम के साथ बैठक से पूर्व से ही आ धमके थे। मामला बढ़ता देख सदन ने बैठक के प्रारंभ में ही माहौल भापते हुए किराया वृद्धि को हटाने का निर्णय लिया था, साथ ही एक कमेटी गठित किए जाने की भी बात कही, जिसमें एक पार्षद कांग्रेस और दूसरा भाजपा का रखे जाने पर भी सहमति बनी। बैठक अभी चल ही रही थी कि पार्षद मोनू निषाद ने पूर्व के प्रस्ताव पर हुए कार्यों पर प्रकाश डालने को कहा। एमएनए अपनी बात रख ही रही थी कि अगला सवाल नामित पार्षद महावीर सिंह ने दाग दिया। उन्होंने कहा कि वह शासन से नामित हैं, इसलिए उनका नाम वार्ड में होने वाले विकास कार्यों में शामिल कर शिलापट पर लिखा जाना चाहिए।

इसके साथ ही निगम की सारी सुविधाएं और वार्ड से दिए जाने वाले प्रस्ताव में भी उन्हें शामिल किया जाना चाहिए। इस बात पर कांग्रेस पार्षदों ने आपत्ति जताई, साथ ही भाजपा पार्षद प्रमोद शर्मा भी अपने स्थान से खड़े हो गए और कहा कि यह पार्षद विकास कार्य में बाधा बन रहे हैं। खुद भाजपा से नामित पार्षद होने के बाद भी यह दिक्कत पैदा करते हैं। ऐसे में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि भला भाजपा पार्षदों के वार्डो में ही नामित पार्षद रखे जाने की क्या जरूरत थी। विधायक राजेश शुक्ला अभी उनके सवाल का जवाब दे ही रहे थे कि पार्षद मोहन खेड़ा ने इस पर विरोध जता दिया, जिसको लेकर विधायक राजकुमार ठुकराल और मोहन खेड़ा आमने-सामने आ गए। दोनों ने एक- दूसरे को देख लेने की धमकी तक दे डाली। इस बीच माहौल गर्म होता देख विधायक राजेश शुक्ला ने भी हस्तक्षेप किया, साथ ही मेयर ने जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले पार्षदों को सदन से बाहर करने की चेतावनी दे दी। बाद में मामला शांत हुआ। अन्य प्रस्तावों पर भी इस बीच चर्चा हुई और कई प्रस्ताव पास किए गए।

 

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